अमेरिका की धमकी, कहा— चीन से झगड़ा होने पर रूस बचाने नहीं आएगा, भारत बोला- मुंह संभाल कर बोलो

अमेरिका की धमकी, कहा— चीन से झगड़ा होने पर रूस बचाने नहीं आएगा, भारत बोला— मुंह संभाल कर बोलो : रूस-यूक्रेन युद्ध की आंच भारत तक पहुंचने लगी है। शुक्रवार को अमेरिका ने जहां भारत को धमकाया तो रूस ने बचाव करते हुए कहा कि भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की प्रशंसा की। भारत पहुंचे अमेरिकी डिप्टी एनएसए दलीप सिंह ने कहा- ‘चीन एलएसी का उल्लंघन करता है तो रूस बचाने नहीं आएगा। रूस हमेशा चीन का जूनियर ही रहेगा। चीन जितना फायदे की स्थिति मेें रहेगा, उतना ही भारत के लिए खतरनाक साबित होगा।’ दूसरी तरफ रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावराेव ने कहा कि भारत, रूस अाैर यूक्रेन के बीच शांति प्रक्रिया में मदद कर सकता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के बाद उन्हाेेंने कहा, भारत अहम देश है, यदि वह विवाद को हल करने में कोई भूमिका देखता है ताे सुलह प्रक्रिया का हिस्सा बन सकता है। लावरोव ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की। भारत की स्वतंत्र विदेश नीति प्रशंसा करते हुए लावरोव ने कहा कि अगर भारत, रूस से कुछ भी खरीदना चाहता है, तो हम आपूर्ति करने को तैयार हैं।

रूस से हमारे रिश्ते अलग तरह के, अमेरिका का यह बयान उसकी बौखलाहट दर्शाता है: जनरल मलिक
पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने कहा- दलीप सिंह का बयान अमेरिका की बौखलाहट दर्शाता है। एक समय था कि जब भारत 75% सैन्य साजो-सामान रूस से मंगाता था। अब भी 48% रक्षा सौदे रूस के साथ हो रहे हैं। अमेरिका जानता है कि रूस के साथ हमारे रिश्ते सिर्फ विक्रेता-खरीदार के नहीं हैं। अमेरिका को यह पता होना चाहिए कि 1962 से आज तक हमने चीन से सीधा मुकाबला किया है। आगे भी करेंगे। अमेरिका खुद को यूक्रेन का सबसे बड़ा हिमायती बता रहा था। लेकिन, जब रूस ने हमला किया तो यूक्रेन को लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया।

चीन से हम निपट लेंगे, रूसी तेल पर निर्भर पश्चिमी देश हमें भाषण न दें
यूरोपीय संघ मामलों की विशेषज्ञ पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी का कहना है कि रूस, अमेरिका और चीन जैसी बड़ी ताकतों के साथ भारत के रिश्तों को लेकर पिछले 48 घंटे में कई अहम घटनाक्रम हुए हैं। यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के 37वें दिन भारत आए रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बेहद अहम मैराथन बैठक की। यही बात अमेरिका और पश्चिमी देशों को खल रही है। इसीलिए, अमेरिका के डिप्टी एनएसए दलीप सिंह ने भारत को एक तरह की धमकी दे डाली। ऐसा करके दलीप सिंह ने सीमाएं लांघी हैं। उनका बयान किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। दुनिया जानती है कि यूरोपीय देश गैस और तेल के मामले में 75% रूस पर निर्भर हैं। भारत तो अपनी जरूरत का सिर्फ 2% तेल रूस से खरीदता है। अगर किसी को परिणाम भुगतने हंै तो वे पश्चिमी देश हैं, हम नहीं। वैसे भी जो पश्चिमी देश खुद रूसी तेल पर निर्भर हो, हमें उनकी भाषणबाजी नहीं सुननी है। दलीप सिंह को अपनी हद में रहना चाहिए था।

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