बिहार में बदल गया ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का नियम, अब आसानी से नहीं बन पाएगा गाड़ी चलाने का डीएल

ट्रिपल स्क्रीन पर ड्राइविंग सीखे बगैर अगले साल अप्रैल से नहीं बन पाएगा राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस

राज्य सरकार ने बिहार में निबंधित सभी ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को चालू वित्तीय वर्ष में सिमुलेटर लगाने का निर्देश दिया है। अगले साल अप्रैल से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए सिमुलेटर पर प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है। चालू वित्तीय वर्ष में सिमुलेटर नहीं लगाने वाले इंस्टीट्यूट बंद करा दिए जाएंगे और इसकी ट्रिपल स्क्रीन पर ट्रेनिंग लिए बगैर ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं हो सकेगा।

बिना ट्रेनिंग स्कूल गए आवेदन करने वालों के लिए फिलहाल कोई निर्देश नहीं दिया गया है, लेकिन अगले साल तक कंप्यूटर जांच की अनिवार्यता की स्थिति में सभी के लिए सिमुलेटर ट्रेनिंग जरूरी हो जाएगी। सिमुलेटर की आधी कीमत या अधिकतम दो लाख रुपए इंस्टीट्यूट को प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलेगी। नए प्रावधान के आधार पर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट प्रशिक्षण शुल्क नहीं बढ़ाएंगे।

सिमुलेटर पर सड़क का माहौल, लेकिन सब आभासी : स्टीयरिंग, ब्रेक, क्लच- सबकुछ होंगे, लेकिन आभासी। सिमुलेटर स्क्रीन पर कारों की उन्नत रेस में स्क्रीन पर दाएं-बाएं या सामने से गाड़ियां आती हैं, ट्रैफिक लाइट्स मिलती हैं, पैदल पार करने वाले दिखते हैं, चढ़ाई या ढलान आ जाता है, रोशनी-अंधेरे की स्थिति आती है, आंखों पर सामने वाली गाड़ी की रोशनी पड़ती है।

वर्तमान आदेश ट्रेनिंग स्कूल से ड्राइविंग सीखकर लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों पर लागू है। प्रारंभिक जांच से पहले एक हफ्ते का कंप्यूटराइज्ड ट्यूटोरियल का प्रावधान है। भविष्य में अधिसूचित होने पर सामान्य लाइसेंस के लिए भी सिमुलेटर का उपयोग अवश्यंभावी है। -संजय अग्रवाल, परिवहन सचिव, बिहार

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