बिहार सरकार को पटना HC की फटकार, कहा-अधिकारियों की लापरवाही के कारण स्वास्थ्य सेवा बदहाल है

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण राज्य में स्वास्थ्य सेवा बदहाल है। गरीब जनता के पास पैसा नहीं है कि वह बड़े अस्पताल का रुख कर सके। सरकारी अस्पतालों का हाल यह है कि इलाज की जगह उन्हें मौत मिलती है।

कोर्ट ने कहा कि स्वीकृत पद रिक्त हैं। इन पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है और कर्मियों को कांट्रैक्ट पर रखा जा रहा है। सरकार बड़े-बड़े दावा करती है लेकिन हकीकत कुछ और बयां कर रही है। कोर्ट ने कहा कि विभाग के सचिव कोर्ट में आकर बताते हैं कि स्वास्थ्य सेवा की बेहतरी के लिए सरकार क्या-क्या कर रही है लेकिन कुछ माह के भीतर ही उनका तबादला कर दिया जाता है, जिससे स्थिति जस की तस बनी हुई है। .

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आदेश का पालन नहीं होने पर 50 हजार आर्थिक दंड लगेगा : सोमवार को न्यायमूर्ति ज्योति शरण तथा न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने विकास चंद्र उर्फ गुड्डू बाबा की लोकहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट को बताया गया कि अस्पतालों में फार्मासिस्ट नहीं हैं। कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को चेतावनी देते हुए कहा कि अदालती फैसले का पालन नहीं किया गया तो अगली तारीख पर विभाग पर 50 हजार रुपए का आर्थिक दंड लगाया जायेगा। अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी।

बगैर फार्मासिस्ट के चल रहे कई बड़े अस्पताल : कोर्ट ने कहा कि कई सरकारी अस्पताल ऐसे हैं, जहां फार्मासिस्ट के पद नहीं हैं। बगैर फार्मासिस्ट के अस्पताल चल रहे हैं। इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान में फार्मासिस्ट के पद नहीं होने पर हैरानी जताते हुए कहा कि राज्य का एक मात्र हृदय रोग के इलाज के लिए बनाये गए अस्पताल की हालत यह है। आईजीआईएमएस में भी फार्मासिस्ट नहीं है।

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कोर्ट के आदेश से अस्पतालों में लगती हैं बड़ी मशीनें : कोर्ट ने कहा कि अधिकारी सेक्रेटिएट में बैठकर काम नहीं करते हैं। काम करते तो राज्य में स्वास्थ्य सेवा की यह हालत नहीं होती। कोर्ट के आदेश से सिटी स्कैन, एमआरआई मशीन लगाई जाती है। डायलिसिस मशीन लगा दी गई लेकिन एक छोटा सा केमिकल उपलब्ध नहीं कराये जाने के कारण मशीन बेकार पड़ी हुई है।

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