कोरोना की ल’ड़ाई में बिहार माॅडल बना नम्बर 1, पिछले सात दिनों में किया बेहतर प्रदर्शन

पटना। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने कोरोना वायरस से पैदा हुए अभूतपूर्व संकट में बिहार सरकार के कार्य को सराहनीय तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘अभिभावक’ की भूमिका में बताया। कहा कि बिहार को लेकर कई आशंकाएं थीं, घनी जनसंख्या और लॉकडाउन की शुरुआत में ही जब प्रवासी बिहारी श्रमिक सड़कों पर उतरे तो हमारी भी पेशानी पर बल पड़ा था। हालांकि, तब से अब तक हमने जिस तरह स्थिति का मुकाबला किया है वह प्रशंसनीय ही कहा जाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘पंचायत स्तर पर क्वारंटाइन करना, स्कूलों में आइसोलेशन सेंटर रखना, बाहर फंसे बिहारी प्रवासियों को आर्थिक मदद देना और गरीबों तक डीबीटी के जरिए मदद पहुंचाना, ऐसे कई काम थे, जो बिहार ने ही शुरू किए। बिहार-मॉडल से अब तक लाखों लोग लाभान्वित हुए हैं। प्रवासी बिहारियों तक आर्थिक मदद पहुंचाने वाला बिहार पहला राज्य था, और अब तक 10 लाख 11 हज़ार 473 लोगों के खाते में एक हजार रुपए सहायता रूप में पहुंचायी गई है।

कोरोना से लड़ने में बिहार समेत 19 राज्यों ने बढ़ाई उम्मीद, अन्य राज्यों की तुलना में पिछले सात दिन में किया बेहतर प्रदर्शन : बिहार, दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कुल 19 राज्यों ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद बढ़ाई है। ये राज्य अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं और कोरोना की गति को कमजोर करने में सफल हो रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और बंगाल जैसे राज्यों में कोरोना वायरस फैलने से रोकने में उतनी कामयाबी नहीं मिली है। साथ ही एक अहम बात यह है कि लॉकडाउन व अन्य कंटेनमेंट उपायों की वजह से कोरोना के मरीजों के ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसद की कमी आई है। इस सफलता के बावजूद बेहतर निगरानी और इलाज उपलब्ध कराकर मौतों को रोकने की पूरी कोशिश की जा रही है।

राष्ट्रीय औसत से बेहतर है स्थिति : इन 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मरीजों की संख्या दोगुनी होने में राष्ट्रीय औसत 6.2 दिन से भी ज्यादा समय लग रहा है। इन राज्यों में कंटेनमेंट उपाय काम कर रहे हैं और वायरस को रोकने में सफलता मिल रही है। इन राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में केरल, उत्तराखंड, हरियाणा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, पुडुचेरी, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, असम और त्रिपुरा शामिल हैं। जाहिर है महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, बंगाल जैसे राज्यों में मरीजों की संख्या ज्यादा तेजी से दोगुनी हो रही है। लव अग्रवाल ने कहा कि संख्या दोगुनी होने में लगने वाला समय यह दिखाता है कि हम कैसा काम कर रहे हैं।

80 फीसद मरीज हो रहे ठीक : कोरोना के बंद हो चुके केस (मरीज ठीक होकर घर जा चुका है या उसकी मौत हो चुकी है) में 80 फीसद मामले सकारात्मक हैं। यानी 80 फीसद मरीज ठीक हो रहे हैं और केवल 20 फीसद मरीजों की मौत हो रही है। लव अग्रवाल ने कहा कि संभवत: हम दूसरे देशों की तुलना में बेहतर कर रहे हैं। ग्रोथ फैक्टर को हर दिन आने वाले नए केस के आधार पर मापा जाता है। ग्रोथ फैक्टर को देखें तो पाते हैं कि एक अप्रैल से अभी तक 1.2 है, जबकि इसके पहले 15 मार्च से 31 मार्च तक ग्रोथ फैक्टर 2.1 था। इस तरह से ग्रोथ फैक्टर में 40 फीसद की कमी आई है। यह स्थिति तब है जब मार्च के मुकाबले अभी कई गुना ज्यादा कोरोना की टेस्टिंग हो रही है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *