कोटा में फंसे बिहारी छात्रों ने CM नीतीश ने म’रने के लिए छोड़ा, बस भेजकर लाने से किया इंकार

बाहर रह रहे बिहार के छात्र, मजदूर, प्रवासी भूल जाएं की जरूरत पड़ने पर बिहार सरकार कभी आपके लिए या आपके साथ खड़ी होगी। हां आपके अस्तित्व पर सवाल जरूर खड़े कर सकती है, आपको दोषी जरूर बता सकती है, आपको पहचानने से इंकार भी कर सकती है। कोटा में फंसे हजारों छात्रों को वापस लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने सैकड़ों बसों की व्यवस्था की। उनके सैनिटाईजेशन, स्क्रीनिंग, टेस्टिंग आदि का समुचित ध्यान रखते हुए उन्हें वापस लाने की तैयारी कर ली। लेकिन बिहार सरकार ने सीधे हाथ खड़ा कर दिया। क्या बिहार सरकार ऐसा नहीं कर सकती थी ?

हजारों छात्र कोटा में फंसे हुए हैं, दिक्कत में हैं, ट्विटर पर लाखों ट्वीट करके उन्होंने अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की थी। वक्त है प्रवासियों की बिहार सरकार के नजर में आप अपनी स्थिति समझ लें। वो मजदूरों को मना कर सकते हैं, छात्रों को मना कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर वो किसी को भी पहचाननें से मना कर सकते हैं।

योगी द्वारा 200 बसें कोटा भेजे जाने पर भड़के नीतीश, कहा लॉकडाउन के सिद्धांत के साथ अन्याय है : कोरोना वायरस के कारण जन जीवन थम गया है। जो जहां है वहीं फस चुके है। हम आए दिन दिहाड़ी मजदूरों के फंसे होने की खबरें पढ़कर आहत होते रहते है। इस बार का मामला उन छात्रों का है जो परीक्षा की तैयारियों के लिए कोटा गए थे। वहां यूपी बिहार और अन्य राज्यों से लाखों बच्चे फंसे हुए है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को 200 बसों को कोटा के लिए रवाना किया है, ताकि यूपी के सभी छात्रों को वापस प्रदेश में उनके घरों तक लाया जा सके।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा राजस्थान में फंसे छात्रों को निकालने के लिए बस भेजे जाने के फैसले को गलत ठहराया है। उन्होंने इसे लॉकडाउन के नियमों के खिलाफ अन्याय बताया है। नीतीश कुमार का यह बयान योगी सरकार के फैसले पर है जिसमें उत्तर प्रदेश के जो बच्चे राजस्थान के कोटा में फंसे हुए हैं, उनको निकालने के लिए आगरा से शुक्रवार को 200 बसें रवाना की गईं।बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, “जिस तरह से कोटा से छात्रों को लाए जाने के लिए बसें भेजी जा रही हैं, यह लॉकडाउन के सिद्धांत के साथ अन्याय है।

गौरतलब है कि राजस्थान के कोटा में अलग-अलग परीक्षाओं की तैयारी के लिए गए यूपी-बिहार और देश के अन्य राज्यों के छात्र लॉकडाउन के बीच वहीं फंस गए हैं। उनके पास गुजारे के लिए पैसे खत्म हो गए हैं। ऐसे में छात्र लगातार प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की जाए।

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