बजट में बिहार के लिए मोदी सरकार ने खोला खज़ाना, पिछली बार से बिहार काे 15490 करोड़ ज्यादा

केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी 15490 करोड़ बढ़ेगी। 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर पिछले वर्ष की तुलना में यह बढ़ोतरी होगी। एन. के. सिंह की अध्यक्षता वाले 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा को 2020-21 के बजट में शामिल करने के बाद केन्द्रीय करों में बिहार को 0.396 प्रतिशत अधिक धनराशि मिलेगी। वर्ष 2019-20 में बिहार की हिस्सेदारी 9.665% थी, जो बढ़ कर 2020-21 में 10.061% हो गई है। परिणामस्वरूप पिछले साल जहां केन्द्रीय करों में बिहार की हिस्सेदारी के तौर पर 63406 करोड़ का प्रावधान था, वहीं इस साल 15490 करोड़ की वृद्धि के साथ 78896 करोड़ होगा। वहीं, कुपोषण दूर करने के लिए बिहार को अलग से 664 करोड़ मिलेंगे।


उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि 14 वें वित्त आयोग ने जहां केवल ग्राम पंचायतों के लिए अनुदान का प्रावधान किया था। वहीं 2020-21 के बजट में पंचायती राज की त्रिस्तरीय संस्थाओं ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति और जिला परिषद के लिए अनुदान के प्रावधान से बिहार जैसे राज्य को काफी लाभ मिलेगा। वित्त आयोग की अनुशंसा पर बजट में ग्राम पंचायतों के लिए 5018 करोड़, नगर निकायों के लिए 2416 करोड़ व आपदा प्रबंधन के लिए 1888 करोड़ का प्रावधान किया गया है। आपदा प्रबंधन अनुदान में 10062 करोड़ की वृद्धि का सर्वाधिक लाभ भी बिहार जैसे राज्य को मिलेगा। इस बजट से रोजगार सृजन होगा। साथ ही साथ आम लोगों की आमदनी बढ़ाने में जहां मदद मिलेगी वहीं बेहतर तरीके से मंदी का मुकाबला भी हो सकेगा।

बिहार के किसानों के लिए बजट वरदान : बिहार में लगभग पौने दो करोड़ किसान परिवार हैं। 86 फीसदी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खेती पर निर्भर है। ऐसे में कृषि क्षेत्र के जानकारों को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट से बिहार के गांवों की माली हालत सुधर सकती है। अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र ने कई नई योजनाओं की शुरुआत की है और पुरानी को भी संसाधन उपलब्ध कराया है, जिसका सीधा फायदा गांवों और किसानों को मिल सकता है। पीएम किसान सम्मान निधि से जुड़े किसानों को केसीसी लोन की सुविधा देने का प्रस्ताव है। बिहार के 60 लाख किसानों को पीएम सम्मान निधि मिल रही है। इसकी संख्या लगातार बढ़ भी रही है।

बजट में नाबार्ड द्वारा देश की सभी पंचायतों में कोल्ड स्टोरेज और कृषि भंडार बनाने की घोषणा से बिहार की करीब साढ़े आठ हजार पंचायतों में अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।

बिहार के कृषि उत्पादों को बाजार की जरूरत है और केंद्र ने बजट में इसका खास तौर पर ध्यान रखा है। मक्का, गेहूं और चावल के उत्पादन में पांच-पांच बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने वाले बिहार को बाजार चाहिए। किसान ट्रेन से बहुत हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। दूध, मांस-मछली को दूसरे प्रदेशों में आसानी से भेजा जा सकता है। भुसावल-दिल्ली बैनाना एक्सप्रेस की तर्ज पर बिहार से भी मक्के के निर्यात के लिए ट्रेनों में अलग से रेक लगती है। ऐसी ही व्यवस्था अगर सब्जियों के लिए होगी तो बिहार के किसान उत्साहित हो सकते हैं और सब्जी के उत्पादन में अपना प्रदेश नंबर वन हो सकता है। अभी देश में बिहार का स्थान दूसरा है। दूध और मछली का उत्पादन में दोगुना वृद्धि की स्कीम से भी बिहार को फायदा होगा, क्योंकि यहां मछली का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।

बागवानी के क्षेत्र में केंद्र ने हर जिले में एक खास उत्पाद को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य तय किया है। बिहार के सभी 38 जिलों में पहले से ही इसकी तैयारी कर ली गई है। मौसम एवं मिट्टी के मुताबिक पहले से ही प्रत्येक जिले में अलग-अलग खास उत्पाद पर फोकस किया जा रहा है। बजट में देश के सौ जिलों में सिंचाई की खास व्यवस्था होने वाली है। बिहार के 17 जिलों में जलशक्ति योजना के तहत यह काम पहले से किया जा रहा है।

जैविक खेती की पहल बिहार में पहले से की जा रही है। अभी 13 जिलों में जैविक कोरिडोर बनाकर खेती की जा रही है। राज्य सरकार की ओर से इसके लिए किसानों को आठ-आठ हजार अनुदान भी दिया जा रहा है।

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