PM मोदी के खिलाफ लेख लिखने वाले पत्रकार से भारत सरकार ने लिया बदला, नागरिकता खत्म

आतिश तासिर का ओसीआई कार्ड भारत सरकार ने वापस ले लिया है ये कहते हुए कि उन्होंने अपने पिता के पाकिस्तानी होने की जानकारी नहीं दी थी. इसका मतलब ये है कि अब तासिर के भारत आने पर भी प्रतिबंध लग जाएगा क्योंकि सरकार के अनुसार उन्होंने जानकारी छुपा कर फ्राड किया है.

किसी और कारण से ओसीआई वापस लेने पर वो वीसा लेकर आ सकते थे लेकिन अब ये संभव नहीं होगा. आतिश ने टाइम पत्रिका में लेख लिखकर ये जानकारियां दी हैं.

तासिर वही पत्रकार हैं जिन्होंने चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी के बारे में लेख लिखा था जिसे टाइम पत्रिका ने डिवाइडर इन चीफ शीर्षक से छापा था.

आतिश तासिर हैं कौन….और उन्होंने अब टाइम पर फिर से लेख लिखा है लेकिन ओसीआई कार्ड के बारे में जिसे कई लोग शेयर कर रहे हैं. मेरे पास इस मामले में कुछेक सवाल हैं. जिन्हें सवालों के जवाब मालूम हों ज़रूर बताएं.

सवालों से पहले आतिश कौन हैं और क्या लिखा है मोटा मोटी वो जान लेते हैं.

आतिश के पिता पाकिस्तानी नागरिक सलमान तासीर थे जिनकी पंजाब के गवर्नर रहते हुए 2011 में हत्या कर दी गई थी. आतिश की मां तवलीन सिंह हैं जो भारतीय पत्रकार हैं. सलमान और तवलीन सिंह की कभी शादी नहीं हुई. अफेयर था और इसी अफेयर में आतिश की पैदाइश हुई थी.

आतिश के अनुसार उनके पिता से उनके संबंध जटिल रहे हैं और वो पहली बार अपने पिता से तब मिले जब वो इक्कीस साल के हो गए थे. इस समय आतिश करीब चालीस के हैं. आतिश कहते हैं कि वो भारतीय नागरिक हैं और दो साल की उम्र से लगातार अपनी मां के साथ दिल्ली में रहे हैं.

आतिश खुद को भारतीय नागरिक तो कहते हैं लेकिन उनका पासपोर्ट ब्रिटिश है जो वो खुद बताते हैं. उनके शब्दों में वो ब्रिटेन में पैदा हुए और दो साल की उम्र में भारत आए. जाहिर है ब्रितानी पासपोर्ट था उनके पास. भारत में उन्होंने पहले पीआईओ बनवाया और फिर ओसीआई कार्ड.

आतिश कह रहे हैं कि उनकी मां सत्तर साल की हैं और ऐसे में उनके भारत लौटने पर रोक गलत है. वो कह रहे हैं कि उन्होंने जानकारी कभी नहीं छुपाई और चूंकि उनके पिता औऱ माता की कभी शादी हुई नहीं तो कागजातों पर उनके पिता का नाम क्या है…ये आतिश को ही पता होगा. क्योंकि अपने लेख में वो ये बात नहीं बताते.

आतिश की दादी यानी सलमान तासीर की मां ब्रितानी नागरिक थीं तो मेरा अनुमान है कि आतिश अपनी दादी के पास रहे होंगे पैदा होने के दो साल तक और फिर तवलीन सिंह यानी अपनी मां के पास आए होंगे.

मुझे फिलहाल ये समझ नहीं आ रहा है कि आतिश अपने लेख में भारतीय होने को लेकर इतनी इमोशनल बातें बता रहे हैं तो उन्होंने ब्रितानी पासपोर्ट क्यों बनवाया. अगर पिता के साथ रिश्ते खराब थे तो दादी के साथ लंदन में दो साल रखने का फैसला किसका था.

उनकी मां भारतीय और पिता पाकिस्तानी (बिना शादी के) तो ऐसे में उन्हें ब्रिटिश पासपोर्ट किस आधार पर मिला. और जब वो दो साल की उम्र से भारत में थे औऱ भारत से उन्हें इतना ही प्रेम था तो भारतीय पासपोर्ट लेने में क्या दिक्कत थी.

ले लेते भारत का पासपोर्ट. या कम से कम अपने लेख में ये स्पषट कर देते कि मेरे पास दादी के कारण ब्रितानी पासपोर्ट था और पीआईओ कार्ड के कारण कभी दिक्कत नहीं हुई तो भारतीय पासपोर्ट नहीं लिया.

बहुत झोल है इस कहानी में..जो तवलीन सिंह को जानते हैं वो जानते हैं कि तवलीन सिंह का झुकाव दक्षिणपंथ की तरफ शुरु से रहा है. देखते हैं क्या रायता होता है.

भारत सरकार ने एक और बेवकूफी की है. आतिश का ओसीआई रद्द करने की घोषणा ट्विटर पर की. कम से कम जिसका खारिज हो रहा है उसे पहले बता देना चाहिए था.

नोट- मैं विश्व नागरिक जैसी अवधारण में यकीन रखता हूं. आदमी के पास उसी देश का पासपोर्ट होना चाहिए जिस पर ज्यादा से ज्यादा देश में बिना वीसा के जा पाए आदमी. लेकिन पत्रकारिता या सरकार की आलोचना करने वाले किसी पेशे में रहने पर अपने बारे में सारी जानकारी बिल्कुल स्पष्ट रखनी चाहिए ताकि ऐसे झोल से बचा जाए.

-जे सुशील

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