एक कमरे के मकान से शुरू किया था बिजनस, आज हैं 4 कंपनियों की मालकिन

अगर इंसान कुछ करने की ठान ले तो फिर उसके लिए कोई मुकाम हासिल करना मुश्किल नहीं है। इस बात को साबित कर दिखाया दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाली कृष्णा यादव ने। उन्होंने एक छोटे से कमरे में अचार बनाना का काम शुरू किया था और आज 100 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। आज उनका टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से अधिक है। दिलचस्प बात यह है कि अनपढ़ होते हुए भी कृष्णा ने अपनी लगन, मेहनत और हुनर के दम पर यह कामयाबी हासिल की है। कृष्‍णा यादव को 8 मार्च 2016 को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 2015 में नारी शक्ति सम्मान के लिए चुना गया था।

कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन हैं और आज 4 स्मॉल यूनिट्स चला रही हैं। इनमें अचार से जुड़े 152 प्रॉडक्ट्स बनाए जाते हैं। हालांकि कृष्णा यादव को यह मुकाम आसानी से नहीं मिला है। इसके लिए उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाली हैं। 1995-96 उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था और उनके बेरोजगार पति गोवर्धन यादव मानसिक परेशानी के गुजर रहे थे। लेकिन कृष्णा यादव ने अपनी दृढ़ता और साहस से इस बुरे दौर में परिवार को संभाला।

कृष्णा ने एक दोस्त से 500 रुपये उधार लिए और परिवार के साथ दिल्ली आ गईं। दिल्ली में उन्हें जब कोई काम नहीं मिला तो उसके पति गोवर्धन यादव और उसने थोड़ी सी जमीन बटाई पर लेकर पर सब्जी उगानी शुरू की। मंडी में सब्जी के दाम कम मिलते थे, इसलिए 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का 3 महीने की ट्रेनिंग ली। इस तरह उन्होंने अपने खेत की सब्जी से ही अचार बनाना शुरू कर दिया। 3 हजार रुपये के शुरुआती निवेश पर 100 किलो करौंदे का अचार और 5 किलो मिर्च का अचार तैयार किया, जिसे बेच कर उन्हें 5250 रुपये का प्रॉफिट हुआ।

कृष्णा ने अचार बनाना तो शुरू कर दिया, लेकिन मार्केटिंग की दिक्कत खड़ी हो गई। उन्होंने खुद ही मार्केटिंग शुरू कर दी और सड़क पर ही अचार बेचने लगीं। क्वालिटी अच्छी होने के कारण धीरे-धीरे उनका अचार बिकना शुरू हुआ। उनका आचार इतना मशहूर हुआ किया आज कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ की मालकिन हैं और उनका टर्नओवर 5 करोड़ से भी ज्यादा है। कृष्णा यादव खुद कभी स्कूल नहीं जा पाई, लेकिन आज उन्हें दिल्ली के स्कूलों में खास तौर पर बच्चों को लेक्चर देने के लिए बुलाया जाता है। भले ही उन्होंने अपना नाम लिखना अपने बच्चों से सीखा हो, लेकिन इस काम की बदौलत उन्हें कई अवॉर्ड मिल चुके हैं।

आज उनकी 4 कंपनियां हैं। दो हरियाणा में हैं और दो दिल्ली में हैं। 4 करोड़ रुपए से ज्यादा का टर्नओवर है। उनकी कंपनियां अचार के साथ ही मसाले, जूस, तेल, आटा भी तैयार करती हैं। वह सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रही हैं। कृष्‍णा यादव को 8 मार्च 2016 को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 2015 में नारी शक्ति सम्मान के लिए चुना गया। 2014 में हरियाणा सरकार ने कृष्‍णा यादव को इनोवेटिव आइडिया के लिए राज्य की पहली चैंपियन किसान महिला अवार्ड से सम्मानित किया। सितंबर 2013 में वाइब्रंट गुजरात सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें किसान सम्मान के रूप में 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया। 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने भी एक कार्यक्रम के तहत कृष्‍णा यादव को बुलाकर उनकी सफलता की कहानी सुनी थी।

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