जयपुर से पैदल चलकर बिहार पहुंचा 4 साल का रघुवीर, 3 दिन से सिर्फ पानी पीकर चल रहे थे मां-बाप

Patna: कोरोना को लेकर देश में चल रहे लॉकडाउन के बीच संघर्ष के कई किस्से सामने आ रहे हैं. शुकवार को बिहार के गोपालगंज से ऐसा ही एक किस्सा आया जहां दो छोटे-छोटे बच्चों के साथ एक परिवार जयपुर से पैदल चलकर पहुंचा. गोपालगंज के जलालपुर चेकपोस्ट पर 5 दिनों तक पैदल चलकर एक दम्पति अपने दो मासूम बच्चो के साथ पंहुचा. तो वहीं इस दम्पति के पास न तो खाने के लिए पैसे बचे थे और न ही खरीदने के लिए दवा.

जानकारी के अनुसार राजस्थान के जयपुर से चलकर यह परिवार आज यूपी की सीमा से सटे गोपालगंज के जलालपुर चेकपोस्ट पर पंहुचा. इस परिवार में मां और पिता के साथ उनके 4 साल और 6 साल के मासूम बेटे भी शामिल थे जो लगातार 5 दिनों से पैदल चलकर यहां तक पहुंचे थे. 35 वर्षीय महेश राय बिहार के वैशाली के रहने वाले हैं. वो अपनी पत्नी विभा देवी और 06 साल के रघुवीर और 4 साल के छोटे के साथ 3 महीने पहले ही जयपुर में नौकरी करने गए थे. वहा वो शटरिंग का काम करते थे. अभी उनो काम करते हुए महज कुछ सप्ताह ही हुआ था तभी देश में कोरोना को लेकरलॉक डाउन हो गया.

तो वहीं महेश राय के मुताबिक वे डेढ़ महीने तक बिना काम धंधा के बैठे रहे. उनके पास के सभी पैसे ख़त्म हो गए थे. उनके दो बेटे भी छोटे-छोटे है. इसलिए वो अपने बच्चों और बीवी को खिलाने के लिए वैशाली के लिए पैदल निकल गए. रास्ते में उनके पैसे ख़त्म हो गए. वो अपने बच्चो के साथ तीन दिन से पानी पीकर चल रहे हैं औैर कुछ भी नहीं खाया था. उनके बच्चे भी पांच दिनों से पैदल चल रहे थे.

ऐसे में यहां जब वो बिहार की सीमा में कुचायकोट के जलालपुर चेक पोस्ट पर पहुंचे तब उन्हें खाने का पैकेट दिया गया जिसके बाद सभी ने पांच दिनों के बाद खाना खाया. दो मासूम बच्चो की मां विभा देवी के मुताबिक उनके पैरों में छा/ले पड़ गए है. बच्चे पैदल चलते चलते द/र्द से क/राह रहे थे. वो अपने बच्चों को बिस्किट खिलाकर द/र्द निवारक दवा देती रहीं लेकिन बच्चे चल नहीं पा रहे थे. सभी के पैरों में छा/ले पड़ चुके. शुक्रवार को जब बच्चों को जिला प्रशासन द्वारा खाने में वेज बिरयानी मिला तब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौटी.

वहीं जब 6 साल के रघुबीर से बात की गयी उसने अपने हकलाने वाले अंदाज में कहा कि वो पांच दिन पहले चला था. उसके पैर दर्द करते रहे. वहा रोता भी था. इस दम्पति को NEWS18 की पहल पर जिला प्रशासन ने हर सुविधा मुहैया करायी. उनका रजिस्ट्रेशन कराने के बाद स्क्रीनिंग कराई गई और अब इन्हें बिहार सरकार द्वारा संचालित बसों से उनके गृह जिले में भेजने की कवायद शुरू कर दी गयी है.

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