बिहार ने दिया था देश को पहली महिला डॉक्टर, फर्स्ट ग्रेजुएट महिला बन देश भर में लहराया था परचम

PATNA : एक महिला जो उस दौर की थी जिस समय लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता था। लोग कई तरह की बातें किया करते थे…लेकिन कादम्बिनी एक शुरुआत थीं। वो न होतीं, तो शायद हमारा समाज और देर से जागता।

हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला ग्रेजुएट की जिसने महिलाओं की शिक्षा का बिगुल पहले ही बजा दिया था जिसके बाद महिलाएं अब अपना-अपना झंडा लहरा रही हैं। कादम्बिनी गांगुली न सिर्फ भारत की पहली महिला ग्रेजुएट थीं बल्कि भारत की पहली महिला डॉक्टर भी थीं। उस समय भारत में ब्रिटिश राज हुआ करता था। कादम्बिनी गांगुली का जन्म 1861 में 18 जुलाई को बिहार के भागलपुर जिले में हुआ था। उनका परिवार चन्दसी (बारीसाल, अब बांग्लादेश में) से था। इनके पिता का नाम बृजकिशोर बासु था। उदार विचारों के धनी कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर ने पुत्री की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। कादम्बिनी ने 1882 में ‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।

dailybihar.com, dailybiharlive, dailybihar.com, national news, india news, news in hindi, ।atest news in hindi, बिहार समाचार, bihar news, bihar news in hindi, bihar news hindi NEWS

कादम्बिनी के पिता बृजकिशोर बसु ब्रह्मो सुधारक थे। ये समाज राजा राममोहन राय ने स्थापित किया था। भागलपुर में हेडमास्टर की नौकरी करने वाले बृजकिशोर ने 1863 में भागलपुर महिला समिति बनाई थी, जो भारत का पहला महिला संगठन था। 1878 में कादम्बिनी कलकत्ता यूनिवर्सिटी का एंट्रेस एग्जाम पास करने वाली पहली लड़की बन गई थीं। उनके इस सफर में देश की पहली महिला ग्रेजुएट होने का माइलस्टोन भी शामिल है। हमें अपनी बच्चियों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। इमोशनल ऐड बनाने पड़ते हैं, लोगों को दलिया, पैसे और बस्ते का लालच देना पड़ता है और ये सब 2017 में हो रहा है। सोचिए 19वीं शताब्दी में क्या हाल रहा होगा। फिर भी कादम्बिनी हायर एजुकेशन के लिए सात समंदर पार यूरोप गईं। जब लौटीं तो उनके हाथ में मेडिसिन और सर्जरी की तीन अडवांस डिग्रियां थीं। वो उस समय की सबसे पढ़ी-लिखी महिला थीं। कई पुरुषों से भी ज्यादा।

कादम्बिनी भारत की पहली वर्किंग मॉम भी थीं। मां, डॉक्टर और सोशल एक्टिविस्ट का रोल एक साथ निभाना उनके लिए भी आसान नहीं था, लेकिन वो कोई आम महिला नहीं, कादम्बिनी गांगुली थीं। वो, जो किसी भी महिला के अंदर जान लगाने का जज्बा फूंक दें। 21 की उम्र में कादम्बिनी की शादी 39 साल के विधुर द्वारकानाथ गांगुली से हुई थी। द्वारकानाथ भी ब्रह्मो समाज के एक्टिविस्ट थे। पिछली पत्नी से उनके 5 बच्चे थे और कादम्बिनी 3 बच्चों की मां बनीं। उन्होंने 8 बच्चे पाले। उनके बारे में लिखने वाले बताते हैं कि उनकी शादीशुदा जिंदगी बड़ी खुशहाल थी।शादी के बाद कादम्बिनी जल्दी ही मेडिकल कॉलेज चली गईं। लेडी डफरिन हॉस्पिटल में कुछ दिनों तक काम करने के बाद उन्होंने प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर दी थी।

dailybihar.com, dailybiharlive, dailybihar.com, national news, india news, news in hindi, ।atest news in hindi, बिहार समाचार, bihar news, bihar news in hindi, bihar news hindi NEWS

उस समय भी कुछ ऐसे ‘महापुरुष’ थे, जिन्हें कादम्बिनी से दिक्कत थी। एक कट्टरपंथी हिंदू ग्रुप ने तो उन्हें बदमान करने का कैंपेन चला दिया था। एक रूढ़िवादी मैगजीन बंगाबासी तो उन्हें इनडायरेक्टली वेश्या कहती थी। ये 1891 था और कादम्बिनी ने मैगजीन के एडिटर मोहेश चंद्र पाल के खिलाफ केस कर दिया था। मोहेश पर 100 रुपए जुर्माना लगाया गया था और 6 महीने के लिए जेल भेज दिया गया था। कादम्बिनी की मृत्यु- 3 अक्टूबर, 1923 को हो गई थी।

(फेसबुक पर DAILY BIHAR LIVE लिख कर आप हमारे फेसबुक पेज को सर्च कर लाइक कर सकते हैं। TWITER पर फाॅलों करें। वीडियो के लिए YOUTUBE चैनल को SUBSCRIBE करें)

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *