बिहार : समय पर नहीं मिला बेड, अस्पताल की ही चौखट पर कोरोना मरीज ने तोड़ा दम

जिस पंचायत में ईएसआईसी अस्पताल बना है, वहां की पूर्व मुखिया धनमंती देवी ने बेड के अभाव में उसकी चौखट पर करीब दो घंटे तक संघर्ष किया और दम तोड़ दिया। स्थिति बिगड़ने पर उनके पति अशोक राय एनएसएमसीएच लेकर पहुंचे। जांच में पॉजिटिव आने पर भर्ती करने का आग्रह किया। लेकिन बेड नहीं होने की बात कहकर उन्हें लौटा दिया गया। इसके बाद वे अपनी पंचायत में बने बड़े अस्पताल ईएसआईसी की चौखट पर पहुंचे। वहां भी बेड खाली नहीं होने की बात बताई गई। तबतक मरीज की हालत बिगड़ने लगी थी। इस पर उनके पति ने बाहर से ऑक्सीजन लाकर डॉक्टरों से मरीज को भर्ती कराने का आग्रह किया। अाखिरकार वे लोग 7वीं मंजिल पर पहुंचे, जहां कोविड का इलाज चल रहा था। डॉक्टर इलाज शुरू करते इसके पहले ही पूर्व मुखिया की मौत हो गई।

पटना से बिहटा तक किसी अस्पताल में नहीं मिली जगह, आखिकार घर में मौत
बिहटा| कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। ताजा मामला बिहटा के बेला गांव निवासी 38 वर्षीय जीतन महतो से जुड़ा है। परिजनाें का आरोप है कि पिछले कई दिन से जीतन की तबीयत खराब थी। उसे सर्दी-खांसी के साथ बुखार भी था। स्थानीय स्तर पर जब बात नहीं बनी, तो उसके परिवार ने पटना का रुख किया। यहां जांच में कोरोना की पुष्टि हो गई। लेकिन इलाज के लिए कहीं उसे बेड नहीं मिला। नतीजा पत्नी उसके लिए दवा खरीदकर उसे घर ले आई। दवा खाने के बाद भी उसका मर्ज बढ़ता गया। जब उसके शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम हुआ और हांफने की शिकायत हुई तो उसे लेकर वे लोग ईएसआईसी अस्पताल पहुंचे। उन्हें लग रहा था उनके प्रखंड में खुला ये कोविड केयर अस्पताल उनकी समस्या का निदान कर देगा। लेकिन वहां पहुंचने पर पता चला कि बेड खाली नहीं है। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें लौटा दिया। बुधवार को सुबह आखिरकार ऑक्सीजन व बेहतर इलाज की आस में उसकी सांस की डोर टूट गई। जीतन के दो छोटे बच्चे व उसकी पत्नी उसके द्वारा की जा रही किसानी के कार्य से जुड़ी आमदनी पर ही जीवित थी। अब उसका दाह संस्कार व श्राद्ध कर्म कैसे होगा तथा उनके बाकी जीवन कैसे गुजरेगा, इसका दूर दूर तक कोई हल नहीं निकलते दिख रहा है।

कोरोना जांच के लिए आए अधेड़ की पीएचसी में मौत
फतुहा | सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब कोरोना जांच कराने आए एक 50 वर्षीय शख्स की अस्पताल में ही मौत हो गई। हालांकि उसकी काेराेना जांच नहीं हुई थी। सिर्फ जांच के लिए अस्पताल के काउंटर पर रजिस्ट्रेशन ही हुआ था। वह प्रखंड के उसफा गांव का निवासी था। परिजनों की मानें तो उसने सुबह में बुखार आने अाैर लो ब्लड प्रेशर की शिकायत की थी। इसके बाद उसे अस्पताल लाया गया। अस्पताल में इलाज से पहले कोरोना जांच के लिए रजिस्ट्रेशन कराने को कहा गया। रजिस्ट्रेशन होने के थोड़ी देर बाद ही उसने अस्पताल के बेड पर ही तोड़ दिया। इसके बाद परिजन उसके शव को लेकर घर चले गए।

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