पटना एम्स के डाक्टर की सलाह, बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाएं ताकि ओमिक्रॉन से लड़ने की क्षमता बनी रहे

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन डेल्टा प्लस से अधिक घातक नहीं है, लेकिन यह बहुत तेजी से फैलता है। दक्षिण अफ्रीका में पांच साल तक के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण अधिक देखा जा रहा है। यह कहना है पटना एम्स के शिशु रोग विभाग के हेड डॉ. लोकेश तिवारी का। वे शनिवार को दैनिक भास्कर की हेल्थ काउंसिलिंग में पाठकों को सलाह दे रहे थे। उन्होंने बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से संक्रमण में भी वहीं लक्षण हैं-बुखार, सर्दी, खांसी, सांस तेज चलना आदि। डॉ. तिवारी ने कहा कि 70 फीसदी एेसे बच्चे कोरोना संक्रमित हुए जिनमें लक्षण नहीं दिखे।

जब बच्चों की एंटीबॉडी की जांच कराई जा रही है तो पता चल रहा है कि पॉजिटिव है। यानी, इन बच्चों को संक्रमण लग चुका है। दिल्ली एम्स के अलावा अन्य संस्थानों के सर्वे से यह बात सामने आई है। कोरोना संक्रमित बच्चों के ब्रेन संबंधी किसी तरह की परेशानी हो तो उसे तुरंत दिखा लेना चाहिए। हालांकि यह लक्षण चार से छह सप्ताह बाद दिखता है। उन्हाेंने कहा कि बच्चों की इम्युनिटी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि बीमारी से लड़ने की क्षमता बनी रहे। यदि बच्चा बीमार है और उसमें काेराेना के लक्षण दिख रहे हैं तुरंत स्थानीय स्तर पर दिखा लेना चाहिए।

बच्चा जब स्टैबलाइज्ड हो जाए तो बड़े अस्पताल में ले जाना चाहिए। डॉ. लोकेश ने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट को देखते हुए अभी अलर्ट रहने की जरूरत है। मास्क, दूरी और सेनेटाइजेशन की आदत नहीं छोड़नी चाहिए।

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