क्या सच में चौकीदार चोर है, यह पत्र नही है यह खुला सुबूत है कि चौकीदार ही….

यह पत्र नही है यह खुला सुबूत है कि चौकीदार ही….

यह सुबूत है किस तरह से मोदी जी स्वयं एक ईमानदार अधिकारी को अपने पद से हटाने में शामिल है क्योंकि वह अधिकारी अपने संस्थान में चल रहे भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे थे………..

इंडियन फोरेस्ट सर्विसेज यानि IFS में अधिकारी संजीव चतुर्वेदी 2012 से लेकर 2014 तक AIIMS के मुख्य सतर्कता अधिकारी के तौर पर कार्यरत थे…… एम्स में संजीव ने अपने दो साल के कार्यकाल में 150 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए। केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद संजीव को एम्स के सीवीओ पद से हटा दिया गया, जिस पर काफी विवाद भी हुआ ओर अब यह सच्चाई सामने आई है……….

प्रधानमंत्री मोदी के उस वक्त के प्रिंसीपल सचिव पीके मिश्रा को 23 अगस्त 2014 को यह पत्र लिखा गया, जिसमें कहा गया कि डिप्टी सचिव और CVO संजीव चतुर्वेदी को कार्यमुक्त करने के बाबत प्रधानमंत्री की स्वास्थ्य मंत्री से फोन पर बातचीत हुई. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने AIIMS के उस वक्त के CVO संजीव चतुर्वेदी को जबरन छुट्टी पर भेज दिया……..

संजीव चतुर्वेदी मूलत: हरियाणा काडर के अफसर हैं। इनको पहली पोस्टिंग कुरुक्षेत्र में मिली, जहां इन्होंने हांसी बुटाना नहर बनाने वाले ठेकेदारों पर एफआईआर दर्ज करवाई।

मैग्सेसे अवार्ड विजेता संजीव चतुर्वेदी आरटीआई एक्टिविस्ट भी है जो लगातार भाजपा सरकार की ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘स्वच्छ भारत’ और ‘स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट’ जैसी विभिन्न योजनाओं के बारे में भी सूचनाएं मांगते रहते हैं उनके ही अनुरोध पर पिछले साल सूचना आयुक्त ने PMO को 2014 से 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का खुलासा करने का निर्देश दिया था, संजीव चतुर्वेदी की आरटीआई पर केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को 15 दिन के अंदर विदेशों से वापस लाए गए काले धन की जानकारी देने को कहा था

एक ईमानदार अफसर को इस तरह से पद से हटाना यह साबित करता है कि न खाऊँगा न खाने दुँगा की बात बिलकुल झूठ है और यह देश की चौकीदारी नही कर रहे हैं बल्कि भ्रष्टाचार में भागीदारी कर रहे है

-Girish Malviya

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