लॉकडाउन में कर्ज का ब्याज तक नहीं दे पाया, पिता-पुत्र फं’दे पर झूले, पत्नी को भी गला घों’ट मा’रा

जोधपुर में रहने वाले एक परिवार ने कर्ज से परेशान होकर आत्मह/त्या कर ली। परिवार के तीनों सदस्यों के श/व पुलिस ने बरामद कर लिए हैं। सुसाइड नोट में परिवार के मुखिया ने कर्ज से परेशान होने की बात कही है। इस परिवार में पिता और पुत्र फर्नीचर का काम करते थे, जबकि पत्नी घर का कामकाज देखती थी। एसीपी नीरज शर्मा ने बताया कि बेटे नितिन ने पहले फं/दा लगाया फिर पति राजेंद्र सुथार ने पत्नी इंद्रा का गला घों/ट मौ/त के घाट उतारा।

सुथार परिवार में राजेन्द्र पत्नी इंद्रा और बेटे नितिन के साथ किराए से रहते थे। पिता और पुत्र फर्नीचर बनाने का काम करते थे और खुद का घर लेना चाहते थे। पर लॉकडाउन के कारण उनका काम पूरी तरह बंद हो गया और नया घर लेना तो दूर उनके लिए कर्ज का ब्याज चुकाना भी मुश्किल हो गया और अंत में पूरे परिवार ने सु/साइड करने का फैसला लिया।

गुरुवार की रात तक सब कुछ सामान्य था। राजेन्द्र फैक्ट्री से लौटने के बाद लोगों के साथ बैठे थे, पत्नी इंद्रा खाना खाकर रोज की तरह अन्य महिलाओं के साथ पार्क में इवनिंग वॉक कर रहीं थीं। बेटा नितिन भी फैक्ट्री से आने के बाद दोस्तों के साथ घूमने निकला था। रात साढ़े दस बजे नितिन के दोस्त उसे घर के बाहर छोड़कर गए थे। यहां तक सबकुछ ठीक था। रात 11 बजे तीनों घर गए। सबने साथ खाना खाया। रात 12 बजे के बाद नितिन ने पीछे कमरे में फं/दा लगाया। फिर राजेन्द्र ने पत्नी का ग/ला घों/टा व खुद भी फं/दे से झूल गया।

पुलिस मौके पर पहुंची तब तक टीवी ऑन था। घर में पुलिस को 4 मोबाइल मिले हैं। 2 मोबाइल नितिन के थे। 1 मोबाइल पिता व 1 मां का था। 2 मोबाइल की स्क्रीन टूटी थी। संदेह है कि सु/साइड से पहले पति-पत्नी के बीच झ/गड़ा हुआ था। पुलिस ने तीनों के श/व एमडीएम अस्पताल की मोर्चरी में रखवाए हैं। शनिवार को तीनों श/व का पो/स्टमार्टम किया जाएगा।

चौहाबो थानाधिकारी गोविंद व्यास ने बताया कि राजेंद्र ने सु/साइड नोट में कर्ज नहीं चुकाने की बात लिखी है। उन्होंने लिखा है कि वो परेशान हो गया है और कर्ज का ब्याज तक नहीं दे पा रहा है। सु/साइड नोट में महिला का नाम लिखा है। पुलिस को एक डायरी भी मिली है। पुलिस इससे अब जानने में जुटी है कि रुपए किस-किस से लिए और कितने थे।

फर्नीचर बनाने के काम में बेटे को भी साथ जोड़ा : मूलत: भोपालगढ़ के हीरादेसर हाल शंकर नगर निवासी मृ/तक राजेंद्र सुथार ने जब से होश संभाला, तब से फर्नीचर का काम करने लगे। पत्नी-बेटे के साथ किराए के मकान में रहते। बेटे के सपने पूरे करने व परिवार की माली हालत को सुधारने काे परिवार संघर्ष करता। 25 साल के नितिन भी पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फर्नीचर का काम करने लगा। लेकिन परिवार की हालत में सुधार नहीं आया।

घर का मकान व बेटे की शादी के सपने थे : मृ/तका इंद्रादेवी पति राजेंद्र से खुद का मकान होने की बात कहती। इस बात पर दोनों के बीच कई बार वाद-विवाद भी होता था। लेकिन राजेंद्र जानते थे कि मकान लेने के लिए लाखों रुपए चाहिए, जो उनके पास नहीं थे। पिता-पुत्र दोनों मिलकर काम करते फिर भी बीस कभी पच्चीस हजार रुपए से ज्यादा नहीं कमा पाते थे।

माह पड़े भारी, कर्ज का ब्याज चुका नहीं पाए : लॉकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद होने से काम पूरा ठप था। इंद्रादेवी के पिता हनुमान ने बताया कि बेटा सूरज बेटी इंद्रा के घर के एक हिस्से में फर्नीचर का खुद का काम करता था। लॉकडाउन के दौरान उनके कहने पर सूरज ने राशन सामग्री इंद्रा के घर पहुंचा दिया करता था। लेकिन जिन लोगों से कर्ज ले रखा था, उनका ब्याज का पैसा देना इंद्रा ने कभी पिता व भाई सूरज को नहीं बताया।

परिजन बोले-सबकुछ ठीक था ये अनहोनी कैसे हो गई : शादी को 26 साल हो गए थे। बेटी ने कभी परेशान होने की बात नहीं बताई। हालांकि कई बार गेहूं गांव से भेजा करता था। परिवार में तीन जने ही थे। सबकुछ ठीक ही चल रहा था। पता नहीं ये सब अचानक कैसे हो गया।-हनुमान सुथार, मृतका के पिता

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