साइकिल पर बोरा, बोरे में बेटी की ये तस्वीर आपको रुला देगी

Patna: कोरोना वायरस से जारी महामारी से होने वाले नुकसान का सबसे ज्यादा असर गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है. देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से मजदूरी अब मजबूरी में बदल चुकी है. कितने दिन तक बचे हुए पैसों से खाना लाते, तो ये मजदूर चल दिए अपने घर. मजदूरी मिल नहीं रही. ऐसे में जब मजदूर के परिवार में कोई दिव्यांग हो तो हालत और खराब हो जाती है. साइकिल के बीच में लटके उस सफेद बोरे में मजदूर की दिव्यांग बेटी है.

ये प्रवासी मजदूर अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ दिल्ली से उत्तर प्रदेश के लिए जा रहा है. इसके साथ इसके बच्चे भी है. एक बेटी है इस मजदूर की जो दिव्यांग है. उसे इस मजदूर ने साइकिल पर एक देसी जुगाड़ के सहारे लटका रखा है. सफेद प्लास्टिक के बोरे से झांकतीं वो मासूम आंखें कोरोना के खौफ, भूख, तपती गर्मी, दर्द और मजबूरियों की गवाही दे रही हैं. न जाने कितनी दूर इस तरह से उस बच्ची को ऐसे ही लटके हुए जाना है. न जाने रास्ते में कितनी गर्मी होगी.

इस बच्ची को नहीं पता कि दुनिया किस झंझट से जूझ रही है. पर वह परिवार के साथ लंबे रास्ते पर निकल चुकी है. हालांकि, रास्ते के लिए उसके पिता ने कुछ खाने का सामान बांध रखा है. जो पूरा परिवार खाएगा. इस मजदूर के साथ गर्म तपती सड़क पर कुछ बच्चे नंगे पैर भी चल रहे हैं. उनमें से एक बच्ची अपने पिता की साइकिल पर धक्का लगा रही है. शायद पिता की मदद करना चाहती हो या खेल रही हो. (फोटोः PTI)

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