मधुबनी कांड में जबरन लोगों को फंसा रही है पुलिस, जो ​आदमी होली के दिन दिल्ली में था वह आरोपी कैसे हुआ

होली के दिन 29 मार्च को गोली बारी की घटना को अंजाम दिया गया.. जिसमें मौके पर ही दो लोगों की मौत हो गई… जबकि 3 और लोगों की मौत बाद में इलाज के दौरान हो गई… जिसमें एक ही परिवार के तीन सहोदर भाई भी शामिल थे… यह घटना आज भी मीडिया से लेकर राजनीती गलियारे में चर्चा का विषय बनीं हुई है… पक्ष विपक्ष का आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जारी है… इसी कड़ी में पीड़ित परिवार के पास तमाम दलों के नेताओं सहित सामाजिक संगठनों के आने की सिलसिला जारी है.. तमाम नेता सहित पीड़ित परिवार सरकार से, सिस्टम से न्याय की मांग कर रहे हैं… लेकिन इस सबके बीच मामले को लेकर बेनीपट्टी थाने में दर्ज एफआईआर से जुड़े ऐसे तथ्य सामने आये हैं जिनके आधार पर दावा किया जा रहा है कि मामले में दर्ज एफआईआर में ऐसे भी लोगों के नाम शामिल हैं जो घटना के दिन गांव में नहीं थे.. जो घटना के दिन बिहार से बाहर थे.. बावजूद भी उनका नाम हत्याकांड में शामिल कर दिया गया है…

घटना के करीब दो सप्ताह से अधिक बीत जाने के बाद अब पीड़ित परिवार के साथ साथ आरोपी पक्ष के वो लोग भी साक्ष्य व सबूतों को लेकर नेता से लेकर अधिकारियों तक न्याय की गुहार लगा रहे हैं… आला अधिकारियों को स्पीड पोस्ट कर मामले की जानकारी दे रहे हैं…

दरअसल महमदपुर हत्याकांड मामले में घटना के बाद 35 लोगों पर नामजद व 10 से 12 लोगों पर बेनाम एफआईआर दर्ज की गई थी… यूं तो नामजद एफआईआर में कई आरोपियों व उनके परिवार का दावा है कि मामले में कोई संलिप्तता नहीं होने के बावजूद भी उन्हें हत्याकांड का आरोपी बनाया गया है… उन्हीं में से एक आरोपी महमदपुर गांव के स्व. महंत सिंह के पुत्र उमेश सिंह उर्फ बीडीओ हैं… जिनका दावा है कि वह घटना के दिन दिल्ली के समीप गाजियाबाद में अपन बेटे के पास थे… अन्य माध्यमों से BNN तक जो तथ्यों व साक्ष्य भेजें गये हैं उनमें सीसीटीवी फुटेज भी शामिल है जो कि घटना के दिन का है… जिसमें दावा किया जा रहा है कि मामले में आरोपी बनाये गये उमेश सिंह दिल्ली के गाजियाबाद स्थित बेटे के आवास पर थे… जो कि रात के समय सीसीटीवी में देखे भी जा रहे हैं…

साथ ही रेलवे टिकट के अनुसार, आरोपी उमेश सिंह अपने बहू को लेकर दिल्ली के समीप गाजियाबाद स्थित बेटे के आवास पर 16 मार्च 2021 को गए थे…. और 9 अप्रैल 2021 को उनकी मधुबनी वापसी हुई है… यानी घटना के 10 दिनों बाद वह मधुबनी लौटे…

बेनीपट्टी थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार उमेश सिंह पर घटना के समय पिस्टल लेकर गोली चलाने सहित लोहे का रॉड मारने का आरोप है… जबकि सीसीटीवी और रेल टिकट के आधार पर किये जा रहे दावे कुछ अलग ही कहानी बयाँ कर रही है… जो कि दर्ज FIR पर सवाल भी खड़ा कर रही है…

कुछ इसी तरह का दावा मनोज झा का है… आरोपों के अनुसार मनोज झा पर घटना के समय गोली चलाने सहित लोहे की रॉड से हमला करने का आरोप है… जबकि मनोज झा का दावा है कि वह घटना से एक दिन पहले यानी 28 मार्च 2021 को ही कोलकाता के लिए ट्रेन पकड़ चुके थे… जानकारी के अनुसार अभी भी वह कोलकाता में ही हैं… इस मामले के कुछ आरोपी ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है और वो चलने फिरने में भी असमर्थ हैं बावजूद उनलोगों के नाम भी एफआईआर में दर्ज है…

हालांकि मामले की जांच अभी पूरी नहीं हुई है… पुलिस मामले की अनुसंधान में लगी हुई है… 35 नामजद अभियुक्तों में अब तक 20 लोगों की गिरफ़्तारी व सरेंडर की प्रकिया हो चुकी है.. जबकि 15 नामजद अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं… फरार आरोपियों के धड़-पकड़ के लिए लगातार कुर्की जब्ती की कार्रवाई तेजी से की जा रही है… सभी आरोपियों की गिरफ़्तारी के बाद न्यायिक जांच के बाद ही पुलिस मामले की तह तक जा पायेगी कि… मामले में किसका दावा कितना सही… कितना गलत है.. और कौन दोषी हैं और कौन निर्दोष… फिलहाल मामले में पीड़ित परिवार व आरोपी पक्ष के कई लोग जो खुद को मामले में निर्दोष बता रहे हैं… सभी को सरकार व प्रशासन से न्याय की दरकार है.

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