सरकारी आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं मकान मालिक, रूम रेंट ना देने पर छात्रों को जबरन घर से निकाला

पटना से नवादा के वारिसलीगंज जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े कई छात्र, खाने को कुछ नहीं बचा था, भूखे म’रने से अच्छा पैदल घर पहुंचना बेहतर समझा

राजधानी में पढ़ने आये छात्रों को मकान मालिक किराया नहीं देने पर घर से निकाल रहे हैं। छात्रों ने बताया कि अगर किराये के मकान में रहते तो भूख से कम बेइज्जती से ही मर जाते। छात्रों ने बताया कि परसा इलाके में दर्जनों छात्र रहकर पढ़ाई करते हैं। अधिकतर छात्र निकल चुके हैं। उनके पास भी कोई चारा नहीं बचा था। इसलिए घर जा रहे हैं।

मकान मालिक दिन में बार-बार आकर किराया मांग रहा था। खाने-पीने के सारे सामान खत्म हो गए थे। भूखे कितने दिन रहते। मजबूरी में पैदल ही पटना से नवादा के वारिसलीगंज के लिए निकल पड़े हैं। अब निकले हैं तो घर पहुंच ही जाएंगे। आंखों में आंसू थे। चलते-चलते पैर थक गए थे, फिर भी हिम्मत बांधे चले जा रहे थे।

सपनों की तलाश में राजधानी में आये होनहारों पर मकान मालिक को तनिक भी तरस नहीं आया। आसरा देने के बजाय घर से निकाल दिया। मजबूरी में पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं। रविवार दोपहर तीन बजे बाइपास पर पैदल चलकर जा रहे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले धीरज, सूरज, विकास, राकेश, जितेन्द्र और जामुन ने बताया कि वे लोग परसा इलाके में किराये के मकान में रहकर पढ़ते थे।

उनके माता-पिता किसान हैं। हर महीने गांव जाकर अनाज ले आते थे। इस महीने कोरोना की वजह से लॉकडाउन हो गया। इस कारण नहीं निकल सके। सोचा था कि 14 अप्रैल को लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और हम गांव चले जाएंगे। जब से मकान मालिक को पता लगा है कि लॉकडाउन बढ़ने वाला है। किराये के लिए परेशान करने लगे।

हम भूखे भी रह रहे थे, लेकिन किराये के लिए इतना बेइज्जत करने लगे कि हम कमरे में ही बिछावन, पहनने का कपड़ा और चूल्हा, चौकी छोड़कर निकल पड़े हैं। पटना से वारिसलीगंज डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है। जब पहुंचना होगा, पहुंच ही जाएंगे।

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