तेजस लड़ाकू विमान बनाने ​वाले बिहार के वैज्ञानिक,अब्दुल कलाम के दोस्त मानस बिहारी वर्मा का निधन

महान वैज्ञानिक औैर लड़ाकू जेट विमान तेजस बनाने वाली टीम के मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर रहे मानस बिहारी वर्मा अब स्मृतियों में शेष रहेंगे। साेमवार की रात करीब 11.30 बजे उन्होंने लहेरियासराय स्थित अपने बहन-बहनाेई के घर पर अंतिम सांसें लीं। मूल रूप से दरभंगा जिले के घनश्यामपुर प्रखंड के बाउर निवासी वैज्ञानिक का जन्म 29 जुलाई 1943 काे हुअा। 1970 में उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) में एयरोनॉटिक्स साइंटिस्ट के रूप में योगदान दिया। 31 जुलाई 2005 तक के सेवा के दौरान बेंगलुरू, नई दिल्ली और कोरापुट में कई रक्षा परियेाजनाओं में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।

मानस बिहारी मिसाइलमैन के नाम से विख्यात वैज्ञानिक डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम की टीम में काम कर चुके थे। रिटायरमेंट के बाद पूरी तरह गांव में बस गए वैज्ञानिक काे अपनी ही माटी मिथिला-तिरहुत में पहचान तब मिली, जब डाॅ. कलाम राष्ट्रपति बने। वह 30 दिसंबर 2005 काे दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम से पहले उन्होंने प्रशासन काे मानस बिहारी वर्मा से मिलने उनके गावं जाने का संदेश भेजा। लेकिन, मानस बिहारी ने मिथिला विश्वविद्यालय में ही मिलने की बात कही। वहीं कार्यक्रम के मंच से तत्कालीन राष्ट्रपति ने मिथिला काे अपने सपूत से मिलवाया। डॉ. कलाम ने उस समय वीमेंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की आधारशिला रखी। इसके पहले डायरेक्टर मानस बिहारी वर्मा ही बनाए गए। इससे पहले तक वह लगभग गुमनामी की जिंदगी ही जी रहे थे।

पिता के त्याग-सेवा का जीवन पर रहा गहरा प्रभाव
मानस बिहारी वर्मा की परवरिश गांव में हुई थी। पिता आनंद किशोर लाल दास और माता यशोदा देवी थे। पिता 1917 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुए। बाद में विनोवा भावे के भूदान आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई। इसका उनकी जिंदगी पर गहरा प्रभाव पड़ा। तीन भाई व चार बहन वाले मानस बिहारी वर्मा ने शादी नहीं की थी। मैट्रिक तक की पढ़ाई मधुबनी जिले के मधेपुर जवाहर उच्च विद्यालय में हुई। इंटर साइंस कॉलेज पटना से किया। बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज (अब एनअाईटी) पटना से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री ली। फिर कोलकाता विश्वविद्यालय से 1969 में एमई किया। 1986 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में फाइटर जेट लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट निर्माण टीम के मैनेजमेंट प्रोग्राम डायरेक्टर रहे। टीम में 700 रक्षा वैज्ञानिक थे। उनके नेतृत्व में बने फाइटर जेट ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 काे भरी। विंग कमांडर राजीव कोठियाल इसके पहले पायलट बने। तब डॉ. कलाम ने फोन कर उन्हें कहा था- आपका विमान उड़ गया। रिटायरमेंट से पहले मानस बिहारी 2002 से 2005 तक एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी यानी एडीए बेंगलुरू के निदेशक रहे।

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