लालू के जंगलराज से भी बदतर है नीतीश सरकार का गुंडाराज, अब रात में नहीं दिन में लोग डरते हैं

धैर्य कांत : लालू राज में बिहार के लोग शाम सात बजे के बाद घर से निकलने में डरते थे, नीतीश ने पंद्रह साल में ऐसा कर दिया है कि अब लोग दोपहर में निकलने में डरने लगे है। दिन-दहाड़े अब रोज़ जिस तरह से अपराधी AK47 चलाकर किसी को भी मार कर निकल रहे है वो अभूतपूर्व है लेकिन बिहारियो का क्या है , वो तो बस किसी बिहारी IPS/IAS ऑफ़िसर के मैथिल या मगाहिया होने पर खुश हुए जा रहे है ।

पटना में इंडिगो के कर्मचारी के हत्या के मामले में पुलिस की टीम ने क्या किया है वो किसी से छुपा नही है ,बाँकि केसेज में क्या चल रहा है वो भी सबको दिख रहा है, नीतीश के मंत्री के एक घर से शराब का ज़ख़ीरा मिला है ,कॉल रिकॉर्डिंग सबने सुनी है जिसमें मंत्री को इस बाबत पैसे देने की बात तक की गयी है लेकिन बिहार की पुलिस इतनी कमजोर है कि वो एक ट्वीट से घबरा जाती है ।

इस साल सिर्फ़ जनवरी में 194 हत्याएँ और 113 बलात्कार के मामले रिपोर्ट हुए है, पिछले साल जब तीन चार महीने लाक्डाउन में निकला उसके बाद भी बिहार में 3149 हत्या हुई है , औसत महीने का 262 हुआ और बलात्कार के कुल मामले आए 1438. फिर भी किस मुँह से लोग बिहारी IPS और IAS का गुनगान गाते है मेरी समझ से बाहर है, SHO SP DSP CP सबके पेट पहले आते है, चेहरे बाद में, बिहार को बर्बाद करने में इनका बड़ा हांथ है नेताओ से ज़्यादा ।

नीतीश कुमार के मंत्री Sanjay Kumar Jha रोज़ सुबह पॉज़िटिव न्यूज़ शेयर कर देते है लेकिन आजतक मुज़फ़्फ़रपुर बाल गृह कांड पर बकार नही फूटा, वो कांड जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने CBI निदेशक को कोर्ट में इतना बेज्जत किया जिसके बारे जितना कम लिखा जाए उतना कम है ।

पंजाब में बिहारी मज़दूरों को ड्रग्स देकर मज़दूरी की खबर बिहार के मंत्रियो ने तक शेयर कर दी, इसमें पंजाब सरकार से ज़्यादा बिहार के नेता ज़िम्मेदार है ,पंजाब के बजाय बिहार में रहते तो नक़ली शराब पीते और फिर मर जाते, पंजाब में कम से कम ज़िंदा तो है और ये बंधुवा मज़दूरी कोई नई बात तो नही है, जब अकाली के साथ भाजपा पंजाब में थी तो क्या उस वक़्त ऐसी खबरें नही आयी थी? बहुत आयी थी लेकिन उस वक़्त बिहार सरकार मज़दूरों को लेकर संवेदनशील नही रही होगी, जितनी अभी है ।
इसी सरकार ने करोना काल में बिहारी मज़दूरों को अपनी सीमा में नही घुसने देने की बात तक कह दी थी लेकिन बिहारियो का क्या है ,ज़िंदगी भर ग़ुलामी की है ,आगे भी करते रहेंगे ।
सवाल विकल्प का नही है, सवाल है बिहारीयो के ईमान का ।बिहारीयो की एकता दिखेगी आपको बाद दिल्ली के नागलोई और यमुना पार के इलाक़ों में जहां राजनैतिक पार्टीयो ने पूर्वांचल मोर्चा बना रखा है और बिहारी नेताओ को इसलिए रखा है ताकि वो छठ में छठ घाट पर नाच गा सके ।

दिल्ली में एक छोटी सी घटना हो जाए तो पूरा मीडिया कमर के नीचे के सारे कपड़े खोलकर प्राइम टाइम में ही नाचना शुरू कर देता है लेकिन बिहार में रोज़ AK47 से हत्या हो रही है ,नक़ली शराब पीकर लोग मर रहे है ,और हर महीने के 120-25 बलात्कार की घटनाएँ सामने आ रही है लेकिन कही कोई खबर है ही नही ।
खबर क्या है ? हिंदू मुस्लिम मंदिर मस्जिद स्कोडा लहसुन ।

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