CM नीतीश का तेजस्वी प्रेम देख भाजपा को झटका, बिहार में बना रहा नया राजनीतिक समीकरण

बिहार में एक दूसरे के धुर-विरोधी रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना के मसले पर एकजुट हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता दल (BJP) को परेशान करने के लिए यह चीज काफी ही थी, पर कुमार ने सोमवार (23 अगस्त, 2021) को लालू प्रसाद यादव के छोटे की तारीफ कर बीजेपी की घबराहट और बढ़ा दी।

सीएम के अनुसार, यह राजद नेता ही थे, जिन्होंने मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का विचार रखा था। तेजस्वी ने फौरन नीतीश का सुझाव लेते हुए उनका धन्यवाद किया। नीतीश द्वारा पूर्व डिप्टी सीएम की प्रशंसा ने भाजपा को बेचैन सा कर दिया है, क्योंकि सूबे में पार्टी के कुछ नेता पहले से ही जद(यू) के कदमों को संदेह की नजर से देख रहे हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि वे अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय दलों द्वारा एक साथ आने के प्रयासों के लिए कुमार के दृष्टिकोण को करीब से देख रहे हैं।

दरअसल, जाति आधारित जनगणना के समर्थन में अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए कुमार के नेतृत्व में राज्य के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की थी। बैठक के बाद बिहार सीएम बोले थे कि सभी दलों ने जाति आधारित जनगणना की जरूरत पर एक स्वर में बात की। जोर देकर कहा कि विभिन्न जातियों संबंधी आंकड़े प्रभावी विकास योजनाएं बनाने में मदद करेंगे क्योंकि उनमें से कई को उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुरूप अब तक लाभ नहीं मिला है।

इस मामले पर प्रधानमंत्री के जवाब के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि मोदी ने इसे (जाति आधारित जनगणना को) ‘‘खारिज नहीं’’ किया और हरेक की बात सुनी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल यादव ने कहा कि इस तरह की जनगणना राष्ट्रीय हित में है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम होगा और समाज के गरीबों एवं सबसे वंचित वर्गों की मदद करेगा। अगर पशुओं और पेड़ों की गणना की जा सकती है तो लोगों की भी गणना की जा सकती है।

इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा नेता जनक राम ने कहा कि मोदी ने ‘‘एक परिवार के संरक्षक’’ की तरह सभी की राय सुनी। उन्होंने कहा कि हर कोई ‘‘संतुष्ट’’ है और प्रधानमंत्री का फैसला सभी को स्वीकार्य होगा। जनगणना केंद्र का विशेषाधिकार होता है और इसलिए कई पार्टियों द्वारा की गई इस मांग पर फैसला केंद्र करेगा। यह मांग करने वाले अधिकतर दलों में वे दल शामिल हैं, जिन्हें मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का समर्थन हासिल है।

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