बिहार में आज का दिन तो तेजस्वी का है, नीतीश कुमार के साथ रहकर नेता NO 1 बन गए लालू के लाल

आज नीतीश नही तेजस्वी यादव का दिन है और यह दिन उन्हें बड़ी ताकत के साथ बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी देने वाला है 33 वर्ष के युवा तेजस्वी ने बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में अपने पिता के विरोधियों द्वारा बनाये गए हर नैरेटिव को तोड़ा है  जो तथाकथित “जंगल राज” उन्हें पिता की विरासत में मिला था उसे वो काफी पीछे छोड़ आये है

पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान बहुत गलतियां की थी तेजस्वी ने नीतीश और मोदी पर लगातार निजी  हमला किया था । किसी भी जनोसरकार के मुद्दों को भी नही उठाया था। पर विधानसभा चुनावों में तेजस्वी रोजगार,स्वास्थ्य,और शिक्षा पर लगातार बात कर रहे थे। वो चुनाव का एजेंडा तय कर रहे थे जैसे उनके पिता करते थे बस अंतर यह है कि भाषा की मर्यादा का ध्यान रखते हुए वो बड़ी मैच्योरिटी से हर बात का उत्तर दे रहे थे इस मामले में वह अपने पिता लालू प्रसाद यादव से भी बेहतर साबित हुए.

सत्ता में आने के बाद से लालू यादव ने पिछड़ी जातियों, मुसलमानों और दलितों को गोलबंद किया और अपने भाषणों से उनकी अस्मिता को भी जगाया लेकिन विकास और नौकरियां लालू के लिए कभी मुद्दा ही नही थे 2010 के विधानसभा चुनावों में, जब बिहार में नीतीश ने जाति के फार्मूले में ‘विकास’ को जोड़ा, तब भी लालू पुराने मुद्दों पर ही बात कर रहे थे। यही कारण था कि तमाम नाटकीयता के बाद भी वो वोटरों को पहले की तरह आकर्षक नही लग रहे थे

चूनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी अपने पिता की जाति की राजनीति से इतर काम कर रहे थे अपने भाषणों में जाति के बारे में बोलने से बच रहे थे  उन्होंने युवाओं से जाति पर नही नोकरी के लिए वोट माँगे थे दरअसल तेजस्वी ने बिहार के युवाओं की दुखती नस को पकड़ लिया था और उस चुनाव का यही टर्निंग पॉइंट सिद्ध हुआ था

10 लाख नौकरियों का वादा कई विश्लेषकों को छलावा लग रहा था लेकिन तेजस्वी ने यह कर दिखाया राजनीति में आपको लोगो को एक सपना दिखाना होता है लोगो की सबसे बड़ी आवश्यकता को समझना होता है जैसे मोदी 2014 में इस बात को समझ गए थे वैसे ही तेजस्वी लोगो को समझाने में लग गए कि वो उन्हें रोजगार देंगे और वो इसमें कामयाब भी रहे

तेजस्वी ने पूरे प्रचार में पिता लालू यादव और माँ राबड़ी देवी के पोस्टर के बिना प्रचार किया वो अपने पिता के महिमा मंडल से सफलतापूर्वक निकल कर अपनी एक अलग छवि बना पाए है बिहार में तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और विकास जैसे आम आदमी के मुद्दों को लाइमलाइट में ला दिया।उन्होंने बिहार में आने वाले चुनावों का एजेंडा सेट कर दिया है 

लालू बिहार का अतीत हैं, तेजस्वी बिहार के भविष्य  है यही इस पूरे घटनाक्रम की सबसे बड़ी बात है लोहिया और जेपी का बिहार अकसर देश को नया नेतृत्व,नई दिशा और नई सोच देता रहा है आज बिहार ने तेजस्वी के रूप में एक ऐसा ही प्रगतिशील नेता देश को दिया है.

आज नीतीश अवसरवादी खलनायक के रूपमे उभरे है जबकि तेजस्वी एक ऐसे नायक के रूप में उभरे है जिसने सत्ता के लिए विचारधारा के लिए कोई समझौता नहीं किया, आज बिहार में नौकरी पाने वाला हर युवा के माता पिता अपने नए नायक को  मन ही मन एक ही आशिर्वाद दे रहा होगा… यशस्वी भव: तेजस्वी भव:

लेखक : अपूर्व भारद्वाज

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