भारत में सबसे महंगा है इस ट्रेन का सफर, 1 आदमी का किराया 20 लाख, 1950 से चल रही है यह रेल

जिस विशेष महाराजा ट्रेन में कानपुर राष्ट्रपति जी गये थे उसका एक व्यक्ति का किराया देख लीजिये जो कि भारत सरकार के ही एक उपक्रम आईआरसीटीसी के आधिकारिक बेबसाइट पर है। साढ़े बीस लाख रुपए से ज़्यादा!

शाही सैलून का इतिहास
प्रेसीडेंशियल सैलून का सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने इस्तेमाल किया था. पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था. इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे. उस समय खस मैट को कूलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था. 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में इसका इस्तेमाल किया. इसके बाद इस शाही सैलून में कई तरह के परिवर्तन किए गए.

अब तक 87 बार हुआ इस सैलून का प्रयोग

अब तक देश के अलग-अलग राष्ट्रपतियों द्वारा करीब 87 बार इस प्रेसीडेंशियल सैलून का प्रयोग किया जा चुका है. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1950 में पहली बार इस सैलून का प्रयोग किया था. उन्होंने दिल्ली से कुरुक्षेत्र का सफर प्रेसीडेंशियल सैलून से किया था.

इसके अलावा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. नीलम संजीव रेड्डी ने इस स्पेशल ट्रेन के जरिये यात्राएं कीं थीं. उसके करीब 26 साल बाद डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इस सैलून से बिहार की यात्रा की थी.

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