बिहार में सरकारी नौकरी करने वालों के लिए ऐतिहासिक फैसला, मौत होने पर पुराना पेंशन मिलेगा

बिहार में सरकारी नौकरी करने वालों के लिए ऐतिहासिक फैसला, मौत होने पर पुराना पेंशन मिलेगा : कर्मचारी की मौत होने पर उनके आश्रित को पुरानी पेंशन मिलेगी! शुरू में नए कर्मियों को ही लाभ, नियमावली बनाने के लिए कमेटी गठित… इसी माह राज्य सरकार को सौंपेगी रिपोर्ट, अंतिम वेतन की आधी होगी पेशन : केंद्र की तर्ज बिहार सरकार भी नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीसी) के तहत मृतक कर्मचारी के आश्रित को पुरानी पारिवारिक पेंशन योजना का लाभ दे सकती है। इसकी नियमावली बनाने के लिए वित्त विभाग के सचिव (संसाधन) की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है। सूत्रों की मानें तो कमेटी अपनी रिपोर्ट जून अंत तक राज्य सरकार को सौपेंगी।

नए बदलाव के तहत मृतक कर्मचारियों के आश्रित को उनके आखिरी वेतन भुगतान की 50 फीसदी राशि पेंशन के तौर पर दी सकती है। हालांकि इसका लाभ नए नियुक्ति होने वाले कर्मचारियों को मिलेगा। इसके लिए कर्मचारियों को पहले ही ऑपशन चुनना होगा। वैसे, भविष्य में एनपीएस के तहत आने वाले पुराने कर्मचारियों के आश्रितों को भी यह लाभ दिया जा सकता है, क्योंकि केंद्र ने नए व पुराने सभी कर्मियों को यह फायदा दिया है। गौरतलब है कि केंद्र ने एनपीसी के तहत आने वाले कर्मचारियों की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को पुरानी पेंशन योजना के तहत मिलने वाली पारिवारिक पेंशन देने के लिए पेंशन नियम में संशोधन किया है।

परिवारिक पेंशन के लिए अब 7 साल की सेवा ही जरूरी
केंद्र ने 2004 में एनपीएस लागू किया था। 2005 में बिहार सरकार ने भी अपने कर्मचारियों के लिए एनपीएस शुरू किया। प्रदेश में 1.95 लाख कर्मचारी एनपीएस के दायरे में आते हैं। दोनों में फर्क में हम इस रूप में समझ सकते हैं-पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। वहीं, एनपीएस में सैलरी से 10% की कटौती की जाती है, इसमें 14% हिस्सा सरकार भी देती है। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी,लेकिन एनपीएस में यह नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन मिलती थी, और हर 6 महीने में महंगाई भत्ते का लाभ भी दिया जाता था। लेकिन, एनपीएस में ऐसा कोई लाभ नहीं मिलता है। एनपीएस में कर्मियों को रिटायरमेंट के समय कुल जमा राशि का 60% एक मुश्त दे दिया जाएगा। शेष 40% को शेयर बाजार में निवेश कर उसके आधार पर पेंशन तय होगी।

बदलाव के लाभ के गणित को यूं समझें…
अगर किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है तो उसके आश्रित को 7 साल तक बेसिक का 50 फीसदी और महंगाई भत्ता बतौर पेंशन मिलेगी। 7 साल के बाद बेसिक का 30% और महंगाई भत्ता मिलेगा। यानी, अगर किसी कर्मचारी की मौत के समय बेसिक 50 हजार है तो आश्रित को 25 हजार और महंगाई भत्ता 7 साल तक मिलता रहेगा। सात साल के बाद बेसिक का 30 फीसदी यानी 15 हजार और महंगाई भत्ता पेंशन के रूप में मिलेगी।

{ कोरोना संक्रमण के कारण केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों की सेवा-शर्तों में कई बदलाव किए हैं। ऐसा ही एक बदलाव पेंशन से भी जुड़ा है। मौत होने की स्थिति में अब पेंशन पाने के लिए सात साल की न्यूनतम सर्विस की शर्त ही रखी गई है।
{ पहले प्रावधान था कि पेंशन पाने के लिए किसी भी स्थिति में दस साल की सेवा जरूरी है। लेकिन, अब मौत होने पर पारिवारिक पेंशन के लिए सात वर्ष की सेवा की शर्त रखी गई है। ऐसे में उनके परिजनों को आखिरी पेमेंट का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर दी जाएगी। कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में इस आशय का आदेश भी जारी किया है।

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