चमकी बुखार से हो रही मौ-त पर सवाल सुन भड़के सुशील मोदी, कहा- सवाल पूछने वाले जा सकते हैं बाहर

मुजफ्फरपुर में जानलेवा बुखार से बच्चों की जान जा रही है। जिनके बच्चे इस बीमारी के शिकार हो गए जरा उनसे पूछिए कि उनका क्या हाल है। तमाम आलोचनाओं के बाद सीएम नीतीश कुमार मंगलवार को मुजफ्फरपुर गए। इधर सूबे के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी को जब मीडिया ने मासूमों को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि इस मामले पर वो कोई जवाब नहीं देना चाहते और जिन्हें इस बारे में सवाल पूछना हो वो बाहर जा सकते हैं।

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वाह रे हुकूमत और वाह रे हुक्मरां। जब वोटों की जरुरत होती है तो बिन बुलाए मेहमान की तरह लोगों की घरों के दरवाजे खटखटाते हैं। लोगों से गुहार लगाते हैं। लेकिन सत्ता संभालते ही एक झटके में बदल जाता है सब कुछ। मुजफ्फरपुर में बच्चे रोजाना जान गंवा रहे हैं। जो भर्ती हैं वो जिंदगी और मौ-त की जंग लड़ रहे हैं। लेकिन सियासतदां को इससे कोई मतलब नहीं है। सत्ता तो आ गयी लेकिन जिम्मेदारियां गायब हो गईं। बीजेपी नेता सुशील मोदी कहलाते हैं सूबे के उप मुखिया। जब यही सुशील मोदी विपक्ष में होते हैं तो सत्ता पक्ष की नींद हराम करते हैं। सब कुछ बदल देने का दावा करते हैं। लेकिन जैसे ही जोड़ तोड़ कर सत्ता पायी तो पलट गए सारे वादों से, सारी जिम्मेदारियों से।

डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी आए थे बैंकर्स समिति की बैठक में हिस्सा लेने। लेकिन मीडिया ने बच्चों की मौ-त मामले में सवाल पूछे तो लगे मीडिया को ही हरकाने। मन मुताबिक सवाल नहीं पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा आप जाइए बाहर। जब पत्रकारों ने विरोध किया तो कहने लगे हम तो आए हैं बैंकर्स समिति की बैठक में शामिल होने इसलिए इससे संबंधित सवाल ही पूछिए। यही राजनीति है नेता जी। जिनका भविष्य खो गया जरा उनसे पूछिए कि हाल क्या है। आप तो सुविधाओँ से घिरे रहते हैं और आगे पीछे डॉक्टरों की टीम होती है भला आप क्या जानें वो दुख जिनके अपने इस दुनिया को अलविदा कह गए।

राबड़ी बताएं, उनके राज में मेडिकल कॉलेजों की दशा क्या थी : उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि राजद के लोगों को हाल के लोकसभा चुनाव के दौरान अमर्यादित टिप्पणी और तथ्यहीन आरोप लगाने के कारण जनता ने जीरो पर आउट किया। लेकिन मात्र 22 दिन बाद मौका मिलते ही उनकी पुरानी बोली फूटने लगी। राबड़ी देवी बताएं कि उनके शासन में मेडिकल कॉलेजों की क्या दशा थी।

ट्वीट कर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि एक पूर्व मुख्यमंत्री से लोग जानना चाहेंगे कि हाल में चमकी बुखार से एक हजार बच्चों की मौ-त के आंकड़े का आधार क्या है। क्या मौत के मनगढ़ंत आंकड़े पेश करना किसी जिम्मेदार व्यक्ति का काम हो सकता है।

एक अन्य ट्वीट में कहा कि अत्यधिक गर्मी, लू और चमकी बुखार से बड़ी संख्या में मृत्यु हर संवेदनशील व्यक्ति को विचलित करने वाली है। सरकार ने पीड़तों की मदद और बचाव के लिए तेजी से कदम भी उठाए। एईएस का इलाज मुफ्त किया जा रहा है। मृतक के परिवार को 4 लाख देने की शुरुआत की गई और दर्जन भर लोगों तक यह राशि पहुंचा भी दी गई। एहतियात के तौर पर दिन के 10 बजे से शाम के पांच बजे तक सरकारी-गैरसरकारी निर्माण पर रोक लगी।

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