पंजाब की राजनीति के एक बड़े और सम्मानित चेहरे, अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा का बुधवार को निधन हो गया। वे 89 साल के थे और काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने मोहाली के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
एक लंबे राजनीतिक जीवन की कहानी
सुखदेव सिंह ढींढसा का नाम पंजाब की राजनीति में बहुत सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने कई दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहते हुए लोगों की सेवा की। वे साल 2000 से 2004 तक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे।
ढींढसा जी को 2004 में संगरूर लोकसभा सीट से सांसद चुना गया था। वे जमीन से जुड़े नेता थे और किसानों की समस्याओं को संसद में उठाने के लिए जाने जाते थे।
मिला था पद्मभूषण, पर लौटा दिया
साल 2019 में केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मभूषण जैसे बड़े सम्मान से नवाजा था। लेकिन जब किसान आंदोलन हुआ और किसानों पर सख्ती की गई, तब उन्होंने 2020 में अपना अवॉर्ड वापस कर दिया। यह कदम उन्होंने किसानों के समर्थन में उठाया।
भले ही वे उम्रदराज हो गए थे, लेकिन आखिरी वक्त तक लोगों से जुड़े रहे। उनकी सादगी, साफ़ बोलने का तरीका और पंजाब के लिए काम करने की लगन उन्हें एक अलग पहचान देती थी।
निष्कर्ष :
सुखदेव सिंह ढींढसा का निधन पंजाब की राजनीति और समाज के लिए बड़ी क्षति है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
उनकी ईमानदारी, किसानों के प्रति प्रेम और लोगों की भलाई के लिए किया गया संघर्ष हमेशा याद रखा जाएगा। गांव-देहात का हर वो इंसान जो राजनीति में सच्चाई ढूंढता है, उनके जीवन से प्रेरणा ले सकता है।