विदेशी नौकरी छोड़ गांव में डेयरी खोली, ऑर्गेनिक दूध के उत्पादन से सालाना 15 लाख हो रही कमाई

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PATNA : कहते हैं कि जब इच्छा शक्ति मजबूत हो तो आप कुछ भी कर सकते हैं। यूपी के शाहजहांपुर के रहने वाले शरद गंगवार अमेरिका में नौकरी करते थे, अच्छी कमाई भी थी। लेकिन उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया और अपने गांव में एक डेयरी खोली। मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर तहसील तिलहर के राजनपुर गांव के रहने वाले शरद गंगवार ने होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की है और साथ ही एमबीए भी किया है। शरद पांच साल से डेयरी का काम कर रहे हैं। वे ऑर्गेनिक दूध का उत्पादन करते हैं। इसके साथ ही गौमूत्र और गोबर से जैविक खाद भी तैयार करते हैं। इससे उनका सालाना करीब 15 लाख रु. का रेवेन्यू आ रहा है। वे बताते हैं कि पांच साल पहले सिर्फ दो गायों से शुरूआत की। उसके बाद परेशानियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। शरद ने एनडीआरआई करनाल से डेयरी उद्यमिता का एक शॉर्ट टर्म कोर्स किया। आज उनके पास 70 जानवर मौजूद हैं।

शरद का कहना है कि कोई भी काम शुरू करने से पहले उसकी ट्रेनिंग जरूरी है, अनुभवी लोगों से मिलना चाहिए। जिनके पहले से संस्थान चल रहे हैं उनके साथ बैठकर काम की बारीकियों को समझना चाहिए। उसके बाद ही अपने काम की शुरुआत करनी चाहिए। इसके साथ ही काम करने के लिए आपके पास मजबूत इच्छाशक्ति का होना जरूरी है। बिना उसके आप कामयाब नहीं हो सकते हैं। शरद बताते हैं कि एमबीए करने के बाद नौकरी करने का मन हुआ तो अमेरिका चला गया। वहां करीब 8 साल तक नौकरी की। अच्छा पैकेज भी मिलता था, लेकिन दौड़-भाग की जिंदगी में सुकून नहीं था। इसलिए मैंने फैसला किया कि अपने देश लौटा जाए और वहीं पर कुछ ऐसा किया जाए कि नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़े।

शरद किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनका शुरू से ही दुग्ध विकास के क्षेत्र में झुकाव रहा। इसलिए नौकरी छोड़ने के बाद डेयरी शुरू की। इसके बाद कोऑपरेटिव सोसाइटी बनाई। इससे लोग जुड़ते गए। वे कहते हैं कि अगर हम काम अच्छा करते हैं तो हमें बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं होती है। बाजार खुद ही चलकर हमारे पास आता है। डेयरी के साथ अब शरद ने बकरी पालन का भी काम शुरू किया है। बकरी पालन करने से पहले उसकी बारीकियों को जानने के लिए उन्होंने सीआईआरजी मथुरा से ट्रेनिंग ली। शरद बताते हैं कि वे आगे डेयरी के दूसरे प्रोडक्ट भी लॉन्च करने वाले हैं। इसके साथ ही उनका फोकस जैविक खाद पर भी है।

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