बाढ़ को लेकर बिहार सरकार की लापरवाही उजागर, अब तक नहीं खुला एक भी राहत शिविर

1. झंझारपुर, मोतिहारी, अररिया समेत कई इलाकों से बांध टूटने और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की खबर है। मतलब यह कि इस साल भी जल संसाधन विभाग तटबंधों को बचाने में विफल रहा। 3 मई को पटना से जारी निर्देश के बावजूद।

2. कोसी, कमला, बागमती समेत कई तटबंधों के बीच के सैकडों गांव और बाहर के कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है। अररिया शहर में पानी घुस गया है। बीडीओ को आवास खाली करना पड़ा। मगर लोगों को सुरक्षित बचाते एनडीआरएफ या एसडीआरएफ के लोग कहीं नहीं दिखे। आज कल हर कोने से वीडियो बन रहे हैं ये लोग ऐक्टिव होते तो जरूर दिखते। अगर ऐक्टिव नहीं हैं तो यह भी आपदा प्रबंधन विभाग की लापरवाही है। 30 जून तक सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में इन टुकडियों को तैनात कर दिया जाना चाहिये था।

3. हजारों लोग बेघर हो गये मगर कोई भी सरकारी शिविर खुला हो, ऐसी खबर नहीं। ये शिविर भी 30 जून तक खुल जाने और अस्थायी किचेन बन जाने चाहिये थे।4.होने को तो पशुओं के चारे की भी व्यवस्था हो जानी चाहिये थी, मगर जब इंसानों के लिये ही कोई इन्तजाम नहीं तो पशुओं की बात कौन करता है।

Bihar flood

5. 30 जून तक बचाव के लिये सरकारी नावों और गोताखोरों को तैनात होना था, क्या कहीं ये लोग दिखे?6. हर जिले में हेल्पलाइन नम्बर जारी होना था, कई जिले में बने भी है मगर वे फोन या तो काम नहीं कर रहे या कोई उठा नहीं रहा। यानी व्यवस्था आधी अधूरी है।

माफ कीजियेगा नीतीश जी, आपकी योजना तो शानदार होती है मगर अब आप इन्हें 10 फीसदी भी लागू नहीं करवा पा रहे। सरकारी मशीनरी पर से आपका नियन्त्रण खत्म हो रहा है। यही बात चमकी बुखार के वक़्त भी हुई थी।

कल भी आपने विधान मंडल में बड़ा ही ओजस्वी भाषण दिया। कई बेहतरीन योजनायें बतायीं राज्य को बाढ़ और सूखे से बचाने, तालाब को अतिक्रमण मुक्त कराने आदि की। मगर इनका 5 परसेन्ट भी लागू हो पायेगा इसका मुझे भरोसा नहीं है। इसलिये, रोज तबाहियों से गुजरना बिहार की नियती बनती जा रही है।

साभार…पुष्य मित्र

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