जानें बिहार के को/रोना फा/इटर्स की आपबीती, यूं बचाई जिंदगी की डोर

Patna: पटना सिटी के बटाऊकुआं निवासी मो. फैयाज को बुधवार की रात एनएमसीएच से छुट्‌टी दे दी गई. घर जाने से पहले फैयाज ने बताया कि जब पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो उस रात मैं सो नहीं पाया पर बाद में हिम्मत कर इलाज कराता रहा. डॉक्टरों की गाइडलाइन और नियमित दवा लेता रहा. दो से तीन दिन में हमारा बुखार उतरने लगा और कफ भी कम होता चला गया. शुरू में तो मुझे पता ही नहीं चला कि क्या हुआ है.

क्योंकि जब भी मैं घर छुट्टी लेकर आता था तो कफ और खांसी से होता था. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ. मुझे ऐसा लगा कि वातावरण और मौसम में हुए बदलाव से ऐसा हुआ है. कहा- कि हाथों की लगातार सफाई की आवश्यकता है. अभी भी वह घर में पूरी तरह से नियमों को पालन करेगा. बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करना उसकी प्राथमिकता में को/रोना से किसी को डरने की जरूरत नहीं है बल्कि लड़ने और जागरूकता की जरूरत है.

फैयाज गुजरात के टावर कुंडला स्टेशन पर ट्रैक मेंटेनेंस का काम करता है. वह आठ मार्च को घर आया था. बीच में कई दिन बीमार होने पर शहीद भगत सिंह चौक स्थित निजी उपचार केंद्र में उपचार कराया. 22 मार्च को उसे एनएमसीएच में भर्ती किया गया था. 24 को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. एनएमसीएच में भर्ती होने से पहले वह 17 मार्च को लोदी कटरा में एक शादी समारोह में शामिल हुआ था.

राहुल कुमार और माे. फैयाज।

उम्मीद नहीं थी ठीक हो पाऊंगा, परिजन रोज करते थे मोटिवेट, आखिर जीत गया

को/रोना को हराकर बुधवार को एनएमसीएच से डिस्चार्ज हुए फुलवारीशरीफ के बभनपुरा गांव के राहुल ने कहा-बीमारी की चपेट में लोग नहीं आएं इसके लिए जरूरी है कि लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन करें. हाथों की लगातार सफाई और मास्क का उपयोग हर हाल में करें. उसने कहा कि बीमारी के दौरान कभी ऐसा नहीं लगा कि वह ठीक नहीं हो सकता है. मां पूनम देवी, भाइयों में निशांत व दीपक, दादा सुदेश्वर शर्मा के साथ संयुक्त परिवार है. परिवार के लोग हर दिन मोटिवेट करते रह रहे और खूब साथ दिया. कहा कि वह मुकाबला डट कर करे, उम्मीद न छोड़े. इस बीमारी काे हिम्मत से हराया जा सकता है.

डॉक्टरों ने राहुल को अभी 14 दिनों का होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी है. राहुल काे एनएमसीएच स्थित संक्रामक रोग अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में 21 मार्च को भर्ती कराया गया था. नोडल चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि दो-तीन दिन दवा चलने के बाद से ही उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा था. 29 मार्च को उसकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आई थी. इसके बाद दोबारा जांच कराई गई और 31 मार्च को दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई. माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. एचएल महतो, टेक्नीशियन घनश्याम गिरि, सुनील कुमार दास, नीतीश कुमार सिंह व नर्सों की टीम निष्ठा के साथ मरीजों के उपचार में लगी रही. प्राचार्य डॉ. विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर पूरी टीम भावना से काम कर रहे हैं, जिनकी मेहनत से मरीज यहां से ठीक होकर जा रहे हैं. आने वाले दिनों में और मरीज ठीक होकर यहां से जाएंगे.

इन्होंने किया इलाज : अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा, उपाधीक्षक डॉ. गोपाल कृष्ण, मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. उमाशंकर प्रसाद.

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