हाजीपुर से चिराग पासवान के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे पशुपति पारस, प्रिंस राज ने समस्तीपुर से ताल ठोका

PATNAपारस के सामने होगी खुद को साबित करने की चुनौती● पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रहते हुए लोजपा के चुनाव चिह्न पर जीते थे ● संसदीय बोर्ड की बैठक में भाजपा से बात करने के लिए पारस को अधिकृत किया गया : लोक सभा चुनाव से पहले हाजीपुर के वर्तमान सांसद पशुपति पारस ने आर पार की लड़ाई शुरू कर दी है। पत्रकारों से बात करते हुए गुस्से में उन्होंने इतना तक कह दिया कि अगर एनडीए में हमारा सम्मान नहीं होता है तो मैं खुद हाजीपुर से चिराग पासवान या उसकी मां के खिलाफ इलेक्शन फाइट करूंगा। हर हाल में मेरा भतीजा चिराग पासवान समस्तीपुर से चुनाव लड़ेंगा

रालोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस यदि एनडीए से अलग होते हैं तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती खुद को साबित करने की होगी। यह पहला मौका होगा जब वह सत्ताधारी गठबंधन से इतर अपने दमखम पर मैदान में उतरेंगे। पिछला चुनाव उन्होंने एनडीए का हिस्सा रहते रामविलास पासवान के नेतृत्व में लोजपा के चुनाव चिह्न पर जीता था। बाद में पार्टी बंटी तो खुद के समेत पांच सांसद उनके साथ रहे।

अब इनमें से एक चौधरी महबूब अली कैसर ने घोषणा कर दी है कि चिराग पासवान टिकट देंगे तो वे उनके चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरेंगे। वैशाली की सांसद वीणा सिंह पहले से ही चिराग पासवान के साथ हो चुकी हैं। पारस के अलावा लोजपा के मौजूदा सांसदों में से दो प्रिंस राज तथा चंदन सिंह ही उनके साथ रह गये हैं। ऐसे में पारस को खुद के साथ ही दो और सांसदों को जीत दिलाना बड़ी चुनौती होगी।

सवाल है कि पशुपति कुमार पारस अपनी पार्टी रालोजपा को एनडीए से अलग करते हैं तो उनके पास विकल्प क्या है। क्या वे महागठबंधन में जायेंगे? महागठबंधन में सीट बंटवारे का खाका प्राय तैयार हो चुका है तथा सहयोगी दलों से वार्ता हो चुकी है। ऐसे में क्या महागठबंधन पारस को तीन सीट दे पाएगा? अगर महागठबंधन ने तवज्जो नहीं दी और वे एनडीए से भी अलग हो गये तो क्या अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगे? हालांकि शुक्रवार को रालोजपा सांसदों व संसदीय बोर्ड की बैठक में भाजपा से बात करने के लिए पारस को अधिकृत कर दिया गया है। बैठक के बाद पारस ने बिहार की तीन लोकसभा सीटों हाजीपुर, समस्तीपुर व नवादा से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। कहा कि पार्टी खत्म करने की कीमत पर एनडीए में नहीं रह सकते। एनडीए ने साथ नहीं दिया तो वे विकल्प चुनने को स्वतंत्र भी हैं। वे किसी गठबंधन या दल के साथ जा सकते हैं। हालांकि जबतक एनडीए की आधिकारिक सूची नहीं आ जाती है तब तक हमारी पार्टी इंतजार करेगी। अगर एनडीए हमारी पार्टी का सम्मान नहीं करेगी तो मैं और हमारी पार्टी पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।

भाजपा के साथ फिलहाल पारस और चिराग दोनों ही थे। लेकिन हाजीपुर सीट तथा पासवान की विरासत पर दावेदारी को लेकर दोनों के बीच तल्खी से भाजपा भी वाकिफ थी। उसने चाचा-भतीजा को एक करने को लेकर पहल भी की। लेकिन दोनों ने ही इसे नामंजूर कर दिया। इधर भाजपा ने अपने फीडबैक से चिराग पासवान के साथ रहना ही बेहतर माना। गौर हो कि पिता की मुत्यु के बाद पार्टी विभाजन का आरोप लगा चिराग सहानुभूति प्राप्त करने को लेकर लगातार सक्रिय रहे, वहीं पारस केन्द्र में मंत्री रहने के कारण प्रदेश में कम गतिविधि ही कर पाए। ऐसे में पारस यदि अलग जाते हैं तो उनके लिए यह भी साबित करने की चुनौती होगी कि रामविलास पासवान के वोटबैंक में हिस्सेदारी उनकी भी है।

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