परम्परा : होली बीतने के सात दिन बाद रंग खेलते हैं यहां के लोग, शीतला सप्तमी दिन मनता है रंग तेरस

NEW DELHI : भीलवाड़ा में होली यानी की धुलंडी के दिन विशेष तौर पर होली तो नहीं खेली जाती, लेकिन 7 दिन बाद यूं कहे तो शीतला सप्तमी और रंग तेरस पर विशेष महत्व रहता है. इस दिन भीलवाड़ा के लोग होली के रंग में नजर आते हैं और होली के इस पर्व को जश्न के साथ मनाते हैं…

भीलवाड़ा में 25 को नहीं, बल्कि इस दिन खेली जाएगी होली, मंदिर में श्रीकृष्ण के साथ झुमते हैं लोग

भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक होली का त्योहार नजदीक आने वाला है और होली के त्योहार से पहले लोग कई तरह के आयोजन करते हैं. भीलवाड़ा में होली यानी की धुलंडी के दिन विशेष तौर पर होली तो नहीं खेली जाती, लेकिन 7 दिन बाद यूं कहे तो शीतला सप्तमी और रंग तेरस पर विशेष महत्व रहता है. इस दिन भीलवाड़ा के लोग होली के रंग में नजर आते हैं और होली के इस पर्व को जश्न के साथ मनाते हैं.

भीलवाड़ा की महिलाएं फाग के इस पूरे महीने में एक अलग ही तरीके से फूलों की होली खेलती हैं. यहां हर दिन विभिन्न प्रकार के फाग उत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसमें महिलाएं मंदिर में होली खेलती हैं और यह सिलसिला भीलवाड़ा में मनाए जाने वाली होली तक चलता रहता है. वहीं इसको देखते हुए भीलवाड़ा में फूलों की डिमांड भी बढ़ गई है और ऐसे में रोजाना 100 से 150 किलो फूल पत्तियों की बिक्री हो रही है.

भीलवाड़ा के श्री दूधाधारी मंदिर के महंत कल्याण शर्मा ने कहा कि वैसे तो ब्रज में वसंत पंचमी के साथ ही होली का शुभारंभ हो जाता है और भीलवाड़ा में भी इसी प्रकार फाल्गुन का महीना चल रहा है. ऐसे में महिलाएं श्री कृष्ण मंदिर में भगवान के संग होली खेलती हैं. इस दौरान फागोत्सव के गीत भी गाए जाते हैं, क्योंकि फाल्गुन का महीना भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है. यह कार्यक्रम जिले भर के हर ठाकुर जी के मंदिर में आयोजित किए जाते हैं और यह सिलसिला पूरे फाल्गुन के महीने में जारी रहता है.

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