चायवाले का बेटा बना IAS अधिकारी, IPS बनने के बाद भी नौकरी करने से किया इंकार,
उत्तर प्रदेश : मेरा नाम हिमांशु गुप्ता है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं. मेरा जन्म उत्तराखंड में हुआ था. मैं एक आईएएस अधिकारी हूं. आज मैं आपको अपने पारिवारिक संघर्ष की कहानी सुनाने जा रहा हूं. मेरे लिए आईएएस बनना कोई आसान नहीं था. घर की आर्थिक स्थिति बद से बदतर थी. पिताजी चाय का ठेला लगाकर चाय बेचते थे. कभी-कभी मैं भी उनकी मदद करनी ठेले पर पहुंच जाता था और चाय बेचा करता था. हमारे घर की आर्थिक स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं थी कि हम दो टाइम सही तरीके से खाना खा सकें. लेकिन मैंने ठान लिया था कि मुझे पढ़ना है और कुछ करना है.
जीवन में यह कभी नहीं सोचा था कि आईएएस अधिकारी बनूंगा लेकिन इतना तेज था कि पढ़ लिखकर अफसर जरूर बनूंगा. गांव के सभी बच्चों की तरह मैं भी स्कूल पढ़ने जाया करता था. मेरे घर से स्कूल की दूरी 35 किलोमीटर थी. एक तरह से आप कह सकते हैं कि मैं रोज 70 किलोमीटर चलकर पढ़ने जाया करता था. मेरे दोस्त गाड़ियों पर बैठकर स्कूल जाया करते थे. रास्ते में अगर कोई दोस्त मिलता था तो शर्म के कारण छुप जाता था.
स्कूल से लौटने के बाद में रोड पापा के पास जाकर चाय बेचा करता था. 1 दिन किसी दोस्त ने मुझे चाय बेचते हुए देख लिया. फिर क्या था सब ने मुझे चाय वाला चाय वाला का कर चिढ़ाना शुरू कर दिया. उस समय पिताजी की कमाई दूध मात्र ₹400 हुआ करती थी.
चाय का ठेला लगाने से पहले पापा बिहारी मजदूरी क्या करते थे. ग्राहकों से हिसाब करने में पापा को परेशानी होती थी इसलिए उन्होंने तय कर लिया था वह मुझे अपनी तरह मूर्ख नहीं बनने देंगे.
साल 2018 में मैंने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा पास की. मुझे भारतीय रेलवे यातायात सेवा अर्थात आईआरटीएस में मेरा चयन हुआ था. के बाद मैंने दुबारा 2019 में फिर से परीक्षा देने का फैसला किया. इस बार मुझे आईपीएस बनने का मौका मिला लेकिन मैंने फिर भी हार नहीं माना. साल 2020 में मैंने तीसरी बार आईएएस बनने का प्रयास किया और सफल रहा.
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