JNU में छात्रों के संग हुआ धोखा, फ़ीस बढ़ोतरी पूरी तरह वापस नहीं ली गई है

Jey Sushil

जेएनयू में फ़ीस बढ़ोतरी पूरी तरह वापस नहीं ली गई है. दस रूपए किराया प्रतिमाह बढ़ाकर तीन सौ किया गया था जिसे डेढ़ सौ और छह सौ को तीन सौ करने का प्रस्ताव है.

असल में लड़ाई सर्विस चार्ज हर महीने 1700 को लेकर है जिसे वापस नहीं लिया गया है. दूसरी लड़ाई हॉस्टल मैनुअल पर भी है जिसके तहत छात्रों के 11 बजे तक वापस हॉस्टल लौटने, मेस में एक निश्चित ड्रेस पहनने, जैसे बेवक़ूफ़ाना प्रस्तावों को वापस लेने पर है.

इसलिए दस रूपए दस रूपए रटना बंद कीजिए. बाद बाक़ी जिनके टैक्स का पैसा जेएनयू पर ख़र्च होता देख दुख हो रहा है वो सरकार के प्रचार में हो रहे ख़र्च का हिसाब ज़रूर खोजें. और हाँ कुछ लोगों को लग रहा है कि मैं अपनी ग़रीबी की मार्केटिंग कर रहा हूँ. मैंने एक पोस्ट लिखा बस.

भाई कोई चाय बेचकर पीएम बन गया तो वाह वाह. और पीएम बनने के बाद भी चाय बेचने की कहानी सुनाता रहा है. मैंने ग़रीब होकर पढ़ाई कर ली तो इतनी मिर्ची क्यों. और जेएनयू के मेरे कई क्लासमेट्स को मेरी कमजोर हालत के बारे में मेरे पोस्ट से पता चला. बेचना होता तो उस समय से बेच रहा होता.

और हाँ किसी ने न तो उन्हें चाय बेचते देखा न एंटायर पॉलिटिकल साइंस पढ़ने वाला कोई और मिला उनके साथ का.मेरे कष्ट के दिन देखने और मदद करने वाले यहीं फ़ेसबुक पर हैं और मेरी डिग्री तो जो है सो है ही.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *