मुखिया बनने की चाह में नेताजी ने बुढ़ापे में रचाई शादी, कहा— मन से हम अभी जवान हैं, सेवा करेंगे

अररिया (Araria) जिले में ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां आरक्षित सीट होने की वजह से बुजुर्ग अगर चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं तो वह अपनी पत्नी को चुनाव में उतार रहे हैं और अगर पत्नी भी चुनाव नहीं लड़ पा रही हैं तो किसी दूसरी युवती से शादी कर उसे उम्मीदवार बनाकर मुखिया पति बनने का कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाह रहे हैं. ताजा मामला अररिया जिले के सिकटी (Sikati Block) प्रखंड के पड़रिया पंचायत का है, जहां इस बार एक अजब-गजब गठबंधन सामने आया है.

नहीं लड़ पाये चुनाव तो कर ली दूसरी शादी
दरअसल अररिया जिले का पड़रिया पंचायत पिछले चुनाव में ही अत्यंत पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया था. इसके कारण पिछली बार ही मोहम्मद ताहिर नाम के एक बुजुर्ग ने अत्यंत पिछड़ी जाति की एक युवती से शादी कर उसे पंचायत चुनाव में उतार दिया था. उसकी नई पत्नी नसीमा खातून ने 2016 में जीत दर्ज की थी और अभी वही निवर्तमान मुखिया हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ताहिर ने निकाह के समय यह शर्त रखी थी कि यदि नसीमा खातून चुनाव जीत जाती हैं तो वह उसे पत्नी के रूप में रखेगा यदि चुनाव हार जाती है तो 5 बीघा जमीन देकर उसे तलाक दे देगा. हालांकि, वे 1900 मतों से चुनाव जीत गई थी. इस बार फिर मुखिया पति बनने की चाहत में पूर्व पंचायत समिति सदस्य 63 वर्षीय मोहम्मद जैनुद्दीन ने भी ताहिर के रास्ते पर ही चलने का फैसला किया है. जैनुद्दीन ने नसीमा के खिलाफ उम्मीदवार उतारने के लिए अत्यंत पिछड़ी जाति की युवती शाहिदा खातून से निकाह कर उसे चुनावी मैदान में उतारा है.

सेकेंड इनिंग में मिलेगी जीत या होंगे ‘रिटायर’ ?
मोहम्मद जैनुद्दीन की पहली पत्नी उसके साथ रहती है उनके तीन बेटे और चार बेटियां हैं. 9 पोता पोती और छह नाती नातिन भी हैं. मोहम्मद जैनुद्दीन कहते हैं कि वह इस बार पंचायत के मुखिया पद पर जीत चाहते हैं, लेकिन आरक्षित सीट होने की वजह से वह या उनके परिवार का कोई दूसरा सदस्य नहीं लड़ पा रहा था. इसलिए तीसरा रास्ता चुना और अति पिछड़ी जाति की एक कुंवारी लड़की से दूसरी शादी रचा ली. अब देखना यह है कि सियासत के मैदान पर जैनुद्दीन की सेकेंड इनिंग क्या उन्हें जीत दिलाती है या उन्हें रिटायरमेंट लेने पर मजबूत कर देती है.

जानिए क्या कहता है नियम
बता दें, नियम के अनुसार शादी के बावजूद भी महिला की वही जाती मानी जाती है जो उसके पिता की होती है. यानी जैनुद्दीन से निकाह के बावजूद शाहिदा खातून अति पिछड़े वर्ग की ही मानी जाएगी और मुखिया चुनाव लड़ सकेंगी. इस बारे में जिला पंचायती राज पदाधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि शादी के बाद भी बेटी अपनी पिता की जाती से ही जानी जाती है, उसकी जाति नहीं बदलती है. हालांकि, अगर इस मामले में हमलोगों तक कोई शिकायत आती है तो दूसरे बिन्दुओं पर जांच की जा सकती है. लेकिन, शादी के बाद भी लड़की की जाती नहीं बदलती है.

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