बिहार में बहार है, डबल इंजन की सरकार है…NH 106 और 107 की तस्वीर है, 2001 में किया गया था शिलान्यास
पूर्णिया से मधेपुरा या सहरसा जाना होता है तो हमलोग सौ बार सोचते हैं फिर एक बार अपनी गाड़ी की तरफ देखते हैं। सड़क और गड्ढे के बीच का अंतर इस यात्रा में खत्म हो जाता है, कहने को हाइवे है लेकिन जमीन पर गड्ढा है।
‘बिहार का विकास’ यहां पहुँच कर ‘बिहार में बहार’ कहते हुए दम तोड़ देता है और हाँफते हुए धूल, कीचड़ में लोटपोट होते हुए अस्पताल के आईसीयू में पहुंच जाता है।
मेरे टाईम लाईन पर जो तस्वीर देख रहे हैं वह हाइवे की है, कोसी के इलाके की है। NH 106 और 107 की यह तस्वीर है जिसका शिलान्यास 2001 में किया गया था। यह सड़क इलाके को पूर्णिया, सहरसा, कटिहार से जोड़ती है।
आज सहरसा और मधेपुरा के आम लोग सड़कों के लिए बन्द कर रहे हैं। यह बन्द हम सबके लिए है, इस बन्द को मेरा भी समर्थन है।
हम लाख बयानबाजी कर लें लेकिन मुल्क आज भी बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए बिलख रहा है, आंदोलन कर रहा है। यही सत्य है।
हमें शर्म आती है कि विकास , विकास की रट लगाने वाले इस सूबे में हमें सड़क जैसी मूलभूत सुविधा के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है।
लेखक : ग्रिन्द्र नाथ झा, चनका रेजीडेंसी