पापा के निधन के बाद छोड़ना पड़ा स्कूल, मां के साथ खेत में करने लगा काम, UPSC पास कर बना IAS अफसर

के. एलमबहावत ने एक बार कहा था कि ‘हमेशा लक्ष्य ऊपर रखें और सच्ची लगन से काम करें। कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता है। कभी भी अपने सपने देखना मत छोड़िए।’ के. एलमबहावत का जन्म तमिलनाडु के Thanjavur जिले के एक छोटे से गांव Cholagangudikkadu में हुआ था। के. एलमबहावत के पिता ग्राम प्रशासनिक अधिकारी थे। उनकी मां किसान थीं और सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी काम करती थीं। साामान्य बच्चों की तरह ही के. एलमबहावत का बचपन बीता। के. एलमबहावत बचपन के दिनों में खेती-बाड़ी में अपनी मां की मदद किया करते थे। इसके अलावा वो अपनी तीन बहनों के साथ स्कूल पढ़ने के लिए भी जाया करते थे।

साल 1997 में अचानक के. एलमबहावत के पिता का निधन हो गया। पिता के निधन के बाद घर के सदस्यों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता के निधन के वक्त के. एलमबहावत 12वीं में थें और आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें अचानक स्कूल छोड़ना पड़ा। खेती से किसी तरह परिवार का खर्च चल रहा था लेकिन परिवार के पोषण के लिए यह पैसे कम पड़ रहे थे। परिवार की जरुरतें पूरी करने और नौकरी पाने की लालसा लिये के. एलमबहावत ने एलडीसी के लिए अप्लाइ किया लेकिन नौकरी उन्हें नहीं मिली।

12वीं के बाद किसी तरह के. एलमबहावत ने अपनी पढ़ाई-लिखाई शुरू की। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में बीए किया। इन्होंने लॉन्ग डिस्टेंस से पढा़ई की थी। इसके बाद उन्होंने आईएएस अधिकारी बनने का फैसला किया। लेकिन गांव में सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोई खास प्लेटफॉर्म मौजूद नहीं था। लिहाजा के. एलमबहावत ने सार्वजनिक लाइब्रेरी से अध्ध्यन किया।

गांव में उन्होंने 10 सिविल सर्विसेज एस्पिरेंट्स के ग्रुप में पढ़ाई की। जिसमें कई शुभचिंतकों ने उनकी मदद की। लाइब्रेरी और लोगों की मदद से इन्होंने तमिलनाडु सरकार की तरफ से नि:शुल्क सिविल सेवा कोचिंग पाई। जिसके बाद उन्होंने कई तमिलनाडु पब्लिक सर्विस कमिशन एग्जाम तो पास किए लेकिन यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम में फेल हुए।

यूपीससी सिविल सर्विस एग्जाम में फेल होने के बाद एलमबहावत ने स्टेट गर्वमेंट ग्रुप 1 सर्विस जॉइन की। इसके अंतर्गत असिस्टेंट डायरेक्टर (पंचायत) और डीएसपी था। नौकरी के साथ तैयारी की, लेकिन 5 बार MAINS और तीन बार इंटरव्यू राउंड में फेल हुए। उन्होंने IAS के लिए 2015 में अपना अंतिम प्रयास किया। जिसके बाद उसने IAS state cadre में ऑल इंडिया 117वीं रैंक हासिल कर सफलता को कदम चूमने पर मजबूर कर दिया।

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