बिहार में इस साल नहीं होगा चुनाव? ELECTION स्थगित करवाने के लिए पप्पू यादव जायेंगे सुप्रीम कोर्ट

जन अधिकार पार्टी (लो) राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में कोरोनावायरस के मामले रोज़ तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनाव कराने का कोई औचित्य नहीं हैं।

उन्होंने चुनाव आयोग से आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए चुनाव को कुछ समय के लिए टाल देने की मांग की और कहा यदि चुनाव स्थगित नहीं किये गए तो हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। वे बुधवार को उक्त बातें पार्टी की कार्यकारिणी बैठक के दौरान कही। बैठक की अध्यक्षता बिहार प्रदेश अध्यक्ष रघुपति सिंह ने की।

उन्होंने बैठक में कहा कि चाहे चमकी बुखार हो या पटना में जलजमाव, सीएए-एनआरसी का विरोध करना हो या लॉकडाउन के दौरान गरीब जनता के बीच राशन बांटना हो, हमारी पार्टी हर मुसीबत में लोगों के बीच रही और करोड़ों लोगों की मदद की।

समय पर होगा बिहार चुनाव, वोटिंग से लेकर प्रचार-प्रसार में बदलाव, जानिए कितने चरण में होगा इलेक्शन : बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) की तारीखों का ऐलान तो अब तक नहीं हुआ है, लेकिन निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। कोरोना काल में लोगों ने अपनी बहुत सारी आदतें बदलीं, अपनी जीवनशैली बदली, अब कोरोना के इस काल में राजनीति और चुनाव भी बदलने जा रहा है और इसका पहला अनुभव करेगा बिहार। बिहार में इस साल के अक्टूबर और नवंबर में चुनाव होने वाले हैं।

News18 बिहार ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) सुनील अरोड़ा से खास बातचीत की। इस दौरान CEC सुनील अरोड़ा ने कोरोनाकाल में बिहार चुनाव की तैयारियों,

महामारी के दौरान चुनाव प्रक्रिया से जुड़े सभी दिशा-निर्देशों पर विस्तार से बात की। CEC ने कहा कि बिहार चुनाव के आयोजन के लिए चुनाव आयोग की तैयारी समय पर हो रही है। हालांकि, कोरोना महामारी के कारण इस बार वोटिंग और चुनावी रैली को लेकर कई बदलाव किए जाएंगे। चुनाव आयोग सुनिश्चित करेगा कि कोरोना से जुड़े SOPs का पालन बिहार चुनाव में हो।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक पोलिंग स्टेशन पर 1000 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। अभी एक पोलिंग स्टेशन पर 1500 मतदाता होते हैं। कोरोना की वजह से बिहार में 33,797 अतिरिक्त पोलिंग स्टेशन की व्यवस्था की जाएगी। अतिरिक्त पोलिंग बूथ के लिए 1।8 लाख अधिक मतदानकर्मी की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने बताया कि बिहार में ईवीएम की फर्स्ट लेवल चेकिंग जारी है, जो राजनीतिक दलों की उपस्थिति में हो रही है। इस बार 65 साल से अधिक और कोरोना पॉज़िटिव पोस्टल बैलट के जरिये मतदान कर सकेंगे।

बिहार में कितने चरण में चुनाव हो सकते हैं, इस सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘चुनाव का कार्यक्रम ज़रूरी लॉजिस्टिक, मौसम, स्कूल कैलेंडर, सुरक्षा और कोरोना को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा। इसकी घोषणा बाद में विस्तार से की जाएगी। चुनाव प्लानिंग प्रक्रिया के तहत बिहार विधानसभा चुनाव पर संबंधित एजेंसी और मंत्रालयों के साथ बैठकें जारी हैं।’

वर्चुअल रैली पर विपक्षी पार्टियों की तरफ से सवाल खड़ा करने पर चुनाव आयोग ने कहा, ‘चुनाव प्रचार पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग के पास आचार संहिता की व्यवस्था है। एक विशेष प्रकार के राजनीतिक प्रचार के बारे में देखा जाना बाकी है। डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल सभी पार्टियां कर सकती हैं।’

हालांकि, इससे पहले सभी उम्मीदवार को नामांकन के दौरान अपने सोशल मीडिया अकाउंट की डिटेल देनी होगी। चुनावी जनसभा में कोरोना से जुड़े सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देश लागू होंगे। इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता। राजनीतिक दलों को भी दिशा-निर्देश का पालन करना होगा।

बता दें कि बिहार की आबादी 12 करोड़ है, लेकिन यहां मोबाइल फोनों की संख्या 9 करोड़ है। जबकि मतदाता 7 करोड़ 31 लाख। ऐसे में राजनीतिक दलों को इसमें दिक्कत आ सकती है। खासकर आरजेडी जैसी पार्टियों को इसमें दिक्कत होगी। लेकिन अभी चुनाव अभियान की औपचारिक शुरुआत नहीं हुई है। इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

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