पटना हाइ कोर्ट ने वक्फ भवन को एक महीने में ध्वस्त करने का दिया आदेश, विशेष पीठ की सुनवाई में 4:1 से हुआ फैसला

पटना हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग से सटे मजार के अहाते में बनी तीन मंजिला इमारत को लेकर पटना हाईकोर्ट खफा है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह वक्फ बोर्ड का कार्यालय है, जिसमें सबसे नीचे मुसाफिर खाना बन रहा है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई की। न्यायाधीश अश्वनी कुमार सिंह, न्यायाधीश विकाश जैन, न्यायाधीश ए. अमानुल्लाह, न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह, न्यायाधीश आरके मिश्रा की बेंच ने पूछा कि यह किसकी बिल्डिंग है, और किसकी अनुमति से बनी है?

जवाब में सरकार की ओर से कहा गया कि यह वक्फ बोर्ड कार्यालय का भवन है जिसे राज्य सरकार की अनुमति के बाद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को दिया गया था। भवन का निर्माण बिहार स्टेट कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन कर रहा है। इसपर कोर्ट ने पूछा कि क्या इसके लिए हाईकोर्ट और पटना नगर निगम से अनुमति ली गई थी? जवाब में कहा गया राज्य सरकार को ऐसे भवन बनाने के लिए अनुमति की जरूरत नहीं होती। हाईकोर्ट की नई बिल्डिंग के लिए भी किसी से अनुमति नहीं ली गई थी। बिल्डिंग बायलॉज में स्पष्ट है कि विधानसभा, राज्यपाल और हाईकोर्ट की बिल्डिंग से सटे कोई दूसरा भवन नहीं बनाया जा सकता। यह भी कि ऊंचाई 10 मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऐसे तो वक्फ बोर्ड कार्यालय को विधानसभा के बगल में ही बनवा लेना चाहिए था।


4 मंजिला ‘वक्फ भवन’ को ध्वस्त करने का आदेश उच्च न्यायालय में 4:1 के जजमेंट के साथ पास कर दिए गए हैं। इससे पहले यह मामला अदालत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देशों पर जनहित में दायर हुआ था। इस मामले पर पाँच जजों की विशेष पीठ ने सुनवाई की। पीठ में जस्टिस अश्विन कुमार सिंह, विकास जैन, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, राजेंद्र कुमार मिश्रा और चक्रधारी शरण सिंह शामिल थे।
मामले की सुनवाई में पीठ के चार जजों ने हाई कोर्ट के पास बने निर्माण को हटाने के पक्ष में फैसला दिया जबकि अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस मामले में अपनी असहमति जताई और निर्माण को बस नियम विरुद्ध बताया और उसे अवैध मानने से इंकार किया। इसके अलावा, उन्होंने टिप्पणी की, कि उल्लंघन ऐसा नहीं है कि पूर्ण विध्वंस के लिए कहा जाए, उन्होंने प्रस्ताव दिया कि उप-नियम का उल्लंघन करने वाली 10 फीट की ऊँचाई को, अनियमितता को ठीक करने के लिए ध्वस्त किया जा सकता है।

इस बिल्डिंग को बिहार स्टेट बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने बिहार स्टेट सुन्नी वक्फ बोर्ड के लिए बनवाया था जिसे वक्फ बोर्ड ‘मुसाफिरखाना’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहा था। कोर्ट ने पटना के नगर निगम को निर्देश दिया है कि अगर बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट निर्माण हटाने में असफल रहता है तो वह एक माह के भीतर ऐसा करें। कोर्ट ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि आखिर कोविड महामारी में इतनी जल्दी ये निर्माण तैयार कैसे हुआ जबकि कहीं कोई काम सही से नहीं हो पा रहा था।

डेली बिहार न्यूज फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करने के लिए लिंक पर क्लिक करें….DAILY BIHAR  आप हमे फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और ह्वाटसअप पर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *