तीन तलाक को बुरा मानने वाले मधुश्रावनी में टेमी दागने की परम्परा को सही क्यों मानते हैं, क्या यह सही है?

आज मधुश्रावणी है। विगत कुछ दिनों से चली आ रही मिथिला के इस लोक पर्व का आज समापन हो जाएगा। नव विवाहिताओं के घर में आज खुशुयों का माहौल देखा जाएगा। सुहागिन महिलाओं के बीच लड्डू मिष्ठान का बंटवारा किया जाएगा। महिला पंडित द्वारा कथा सुनाई जाएगी और टेमी दा’गने की परम्परा को संम्पन्न किया जाएगा।


क्या है टेमी दागने की परम्परा : मैथिल संस्कृति के अनुसार शादी के पहले साल के सावन माह में नव विवाहिताएं मधुश्रावणी का व्रत करती हैं। सावन के कृष्ण पक्ष के पंचमी के दिन यानि 24 जुलाई से मधुश्रावणी व्रत की शुरुआत हुई और पांच अगस्त को इसका समापन होगा। इस वर्ष यह पर्व 14 दिनों का होगा। मैथिल समाज की नव विवाहितों के घर मधुश्रावणी का पर्व विधि-विधान से होता है । इस पर्व में मिट्टी की मूर्तियां, विषहरा, शिव-पार्वती बनाया जाता है।

मधुश्रावणी जीवन में सिर्फ एक बार शादी के पहले सावन को किया जाता है। नव विवाहिताएं बिना नमक के 14 दिन भोजन ग्रहण करेंगी। यह पूजा लगातार 14 दिनों तक चलते हुए श्रावण मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को विशेष पूजा-अर्चना के साथ व्रत की समाप्ति होती है। इन दिनों नवविवाहिता व्रत रखकर गणेश, चनाई, मिट्टी एवं गोबर से बने विषहारा एवं गौरी-शंकर का विशेष पूजा कर महिला पुरोहिताईन से कथा सुनती है। कथा का प्रारम्भ विषहरा के जन्म एवं राजा श्रीकर से होता है।

पर्व के अंतिम दिन नवविवाहिताएं को रूई की टेमी से हाथ, घुठना, पैर पर पान के पत्ते रखकर टेमी ज’लाकर दा’गा जाएगा। नवविवाहिताओं के लिए यह अ’ग्नि परीक्षा होती है जो जो पति के दीर्घायु एवं अमर सुहाग की कामना के लिए की जाती है। जबकि कुछ बुजुर्ग महिलाओं का मानना है कि टेमी दा’गने से पति-पत्नी के बीच मधुर सम्बन्ध बना रहता है। ऐसा देखा गया है कि इस परम्परा के दौरान कई महिलाएं जोर जोर से रो’ने बि’लखने लगती है। उन्हें क’ष्ट पहुंचता है। डाक्टर के पास जाकर इलाज कराना होता है और महिनों दवा खाना होता है।


यक्ष प्रश्न : समाज में उन सभी नियमों का विरोध होना चाहिए जिससे किसी को कष्ट पहुंचे। चाहे वह सती प्रथा हो या बाल विवाह। तीन तलाक काननू हो या टेमी दागने की परम्परा। वर्तमान समय में कुछ लोग आए दिन सोशल मीडिया पर टेमी दागने की औचित्य पर सवाल उठाते हैं लेकिन जिस तरह से वह तीन तलाक का मुखर होकर विरोध करते हैं उस तरह से टेमी दा’गने की परम्परा का नहीं कर पाते हैं।

टेमी पर पढ़ा जाय वंदना झा का फेसबुक पोस्ट : सबसँ पहिले अपन समस्त मैथिली धिया,बहिन, बेटी सभके मधुश्रावणी पाबनि के हार्दिक शुभकामना।आ टेमी दगबाक समर्थनमे टेमी लऽ कऽ ठाढ़ अपन किछु मैथिल भाई बन्धु के सेहो मधुश्रावणीक हार्दिक शुभकामना। आई अपन समाज देखार भऽ गेल। काल्हि तक तीन तलाक बिलके समर्थन में कुदय वला सब आई मात्र टेमी दगबाक विरोध के नाम पर अपन समाजक बहिन बेटीक लेल भाषाक निम्नस्तर पर आबि गेल छथि। सबगोटे के व्यक्तिगत उत्तर नहि देल जा सकैत अछि किएक तऽ सबहक विरोध एकहि बातक अछि। हे हमर मैथिल बन्धु, भाई लोकनि अहाँ तर्कसँगत उत्तर दिअ तऽ जे टेमी दागल किएक जाइत छैक। ओ तऽ बुझल नहि अछि लेकिन विरोध करब तऽ जेना जन्मसिद्ध अधिकार हुअए। तरह तरहक मनगढ़ंत, आ घटिया सोच आ निकृष्ट भाषाक संग भाई सबहक तरफ सँ चारिपतिया पोस्ट के बाढ़ि आबि गेल एहि प्रथाक समर्थन में आ अपन समाजक बहिन बेटीक लेल अमर्यादित भाषाशैलीक पोस्ट सबहक सनेश सब। बहुत दुखद स्थिति अछि ई जखन बिना कोनो कारण के एहन कुप्रथाक समर्थन अपन मैथिल समाजक किछु रूढिवादी पुरूष करैत अछि आ सबसँ महत्वपूर्ण बात ई जे ओ सब एहिमे कतय सम्बन्धित छथि ई तऽ भगवाने जानथि। अपन समाजक किछु कठमुल्ला रूपी महापुरूष सभ सँ विनम्र निवेदन अछि जे अपन मैथिल समाजक संस्कार आ संस्कृति के ध्यानमे राखैत सुसंस्कृत भाषाशैलीक उपयोग करब तऽ एहि गौरवशाली पावन मिथिलाक परंपरा अक्षुण्ण रहत।

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