बिहार पुलिस में होगी 29000 लोगों की बहाली, पटना हाई कोर्ट ने नीतीश सरकार को दिया सख्त आदेश

पुलिस महकमे के खाली पदों को लेकर पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को कड़ी नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने साफ कहा कि हर हाल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार वर्ष 2020 तक पुलिस महकमे के रिक्त पड़े सभी पदों को भरना होगा. भले ही सरकार को इसके लिए कुछ भी करना पड़े. कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी से 13 अगस्त को उपस्थित होकर यह बताने को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद पुलिस के खाली पदों को भरे जाने के लिए क्या पहल हो रही है. मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही और न्यायाधीश अंजना मिश्रा की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद भी इस मामले पर स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से गृह विभाग के उपसचिव ने एक शपथपत्र दायर कर कोर्ट को बताया कि राज्य में पुलिस अवर निरीक्षक के 4586 पद, सिपाही के 22655 पद और चालक सिपाही के 2039 पद रिक्त पड़े हुए हैं. इन पदों को वर्ष 2023 तक भर लिया जायेगा. गृह विभाग के शपथपत्र को देखने के बाद खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर की. कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब वर्ष 2020 तक सभी खाली पदों को भरने का निर्देश दे दिया है तो किस कारण से इन पदों को वर्ष 2023 तक भरने की बात शपथपत्र में कही गयी है. कोर्ट ने कहा कि जो रिक्तियां अभी बतायी जा रही हैं, वे वर्ष 2023 में बढ़कर और ज्यादा हो जायेंगी. कोर्ट ने टिप्पणी की, आखिर आम जनता को कम पुलिसकर्मियों के सहारे कैसे सुरक्षा दी जायेगी.

खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी पुलिस महकमे में रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए कछुए की चाल से कार्रवाई करना गैर कानूनी है. इस रवैये से लगता है कि राज्य की जनता का कोई भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह रवैया वह बर्दाश्त नहीं करेगा. संविधान में आम जनता को उनकी मूलभूत सुविधाओं के साथ सुरक्षा मुहैया कराना सरकार का दायित्व है. खंडपीठ के समक्ष इस मामले के साथ पुलिस विभाग में अदालती आदेश के बाद भी रिक्त पड़े पदों को नहीं भरने से संबंधित कई अवमानना मामले भी संलग्न थे.

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कोर्ट ने निगरानी ब्यूरो में जांच और अनुसंधान के लिए सेवानिवृत्त पदाधिकारियों से काम लेने पर भी नाराजगी जतायी है. खंडपीठ ने कहा कि अगर रिक्त पड़े पदों को भर दिया जाता तो इन सेवानिवृत्त अधिकारियों से, जिन्हें संविदा के आधार पर रखा गया है, अनुसंधान कार्य कराने की कोई जरूरत नहीं पड़ती. सुनवाई के समय खंडपीठ को बताया गया कि वर्ष 2009 से ही सिपाही के पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं की जा सकी है. इस मामले पर अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी.

सरकार ने सहायक पुलिस अवर निरीक्षक (परिवहन) के 350 पदों का सृजन किया है. इन पदों को प्रोमोशन से भरा जायेगा. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने एक साल पहले गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था. सरकार के अवर सचिव गिरीश मोहन ठाकुर द्वारा जारी पत्र के अनुसार सहायक पुलिस अवर निरीक्षक (परिवहन) वाहन चालन का काम करेंगे.

बिहार पुलिस चालक संवर्ग में सिपाही के पद पर ही सीधी भर्ती की जाती है. इस कारण अधिकतर सिपाही हवलदार परिवहन के पद से ही रिटायर्ड हो जाते हैं. तत्कालीन डीजीपी केएस द्विवेदी ने पुलिस वाहनों के ड्राइवरों के पदोन्नति के अवसर बढ़ाने और विधि-व्यवस्था को और भी मजबूत करने के लिए इन 350 पदों का सृजन करने की सिफारिश की थी.

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