जयंती पर देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को शत-शत नमन, आपका सदैव ऋणी रहेगा भारत

PATNA = महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संविधान सभा के अध्यक्ष एवं देश के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जी की जयंती पर कोटि कोटि नमन : राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति (First President Of India) थे. वे भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी अपना योगदान दिया था. पूरे देश में अत्यन्त लोकप्रिय होने के कारण उन्हें राजेन्द्र बाबू (Rajendra Babu) या देशरत्न कहकर पुकारा जाता था. राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें दो बार लगातार राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया. पेशे से वकील राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) आजादी के संघर्ष में कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार रहे. उन्‍होंने महात्‍मा गांधी की प्रेरणा से वकालत छोड़कर स्‍वतंत्रता संग्राम में उतरने का फैसला किया. उन्होंने व्यक्तिगत भावी उन्नति की सभी संभावनाओं को त्यागकर गांवों में गरीबों और दीन किसानों के बीच काम करना स्वीकार किया.

वह 1950 में संविधान सभा की अंतिम बैठक में राष्‍ट्रपति चुने गए और 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक देश के राष्‍ट्रपति रहे. राष्ट्रपति बनने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने कई सामाजिक कार्य किए. साथ ही उन्होंने कई सरकारी दफ्तरों की स्थापना की. स्‍वतंत्र ढंग से काम करने के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. यह एक ऐसी मिसाल थी जो बाद में परंपरा बन गई और अभी भी यह परंपरा जारी है. आज डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती(Rajendra Prasad Jayanti) के मौके पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 10 बातें बताने जा रहे हैं…

डॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) के जीवन से जुड़ी 10 बातेंडॉ. राजेंद्र प्रसाद (Dr. Rajendra Prasad) का जन्म 3 दिसंबर 1884 में बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम महादेव सहाय और माता का नाम कमलेश्वरी देवी था. 2. राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा छपरा (बिहार) के जिला स्कूल से हुई. उन्होंने 18 साल की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा प्रथम स्थान से पास की. विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें 30 रुपये की स्कॉलरशिप मिलती थी. साल 1915 में राजेंद्र बाबू ने कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की. साथ ही उन्होंने कानून में ही डाक्टरेट भी किया.

राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) पढ़ाई लिखाई में अच्छे थे, उन्हें अच्छा स्टूडेंट माना जाता था. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि ‘The Examinee is better than Examiner’ 4. महज 13 साल की उम्र में उनका राजवंशी देवी से विवाह हो गया था. Rajendra Prasad Quotes: ”किसी की गलत मंशाएं आपको किनारे नहीं लगा सकतीं”, जानिए डॉ. राजेंद्र प्रसाद की कही प्रेरणादायक बातें

डाक्‍टर राजेंद्र प्रसाद (Rajendra Prasad) राष्‍ट्रपिता गांधी से बेहद प्रभावित थे, राजेंद्र प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के ‘नमक सत्याग्रह’ और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल में डाल दिया था. 6. आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलने के साथ राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने. साल 1957 में वह दोबारा राष्ट्रपति चुने गए. राजेंद्र प्रसाद एकमात्र नेता रहे, जिन्हें 2 बार राष्ट्रपति के लिए चुना गया. 12 साल तक पद पर बने रहने के बाद वे 1962 में राष्ट्रपति पद से हटे.

राजेंद्र प्रसाद की बहन भगवती देवी का निधन 25 जनवरी 1950 को हो गया था. जबकि अगले दिन यानी 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने जा रहा था. ऐसे में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के स्थापना की रस्म के बाद ही दाह संस्कार में भाग लेने गए. 8. साल 1962 में राष्ट्रपति पद से हट जाने के बाद राजेंद्र प्रसाद को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाज़ा गया.

बिहार के 1934 के भूकंप के समय राजेंद्र प्रसाद जेल में थे. जेल से छूटने के बाद वे भूकंप पीड़ितों के लिए धन जुटाने में तन-मन से जुट गए और उन्होंने वायसराय से तीन गुना ज्यादा धन जुटाया था. 10. अपने जीवन के आख़िरी महीने बिताने के लिए उन्होंने पटना के निकट सदाकत आश्रम चुना. यहां पर ही 28 फ़रवरी 1963 में उनका निधन हुआ.

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