देश नहीं भूला है इमरजेंसी के वो दिन, ठूंस दिए गए जेल में जिसने बोला जय हिंद!

PATNA: आज से ठीक 44 साल पहले 25 जून 1975 की आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी जो 21 मार्च 1977 तक लगी रही। देश में आपातकाल यानी इमरजेंसी को भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का काला अध्याय भी कहा जाता है। आज हम आपको इमरजेंसी के दौरान की कुछ ऐसी बातें बताते हैं जो शायद आप ना जानते हो।

आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा कि जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील कदम उठाए हैं, तभी से मेरे खिलाफ गहरी साजिश रची जा रही थी।

आपातकाल के पीछे सबसे अहम वजह 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इंदिरा गांधी के खिलाफ दिया गया फैसला बताया जाता है। यह फैसला 12 जून 1975 को दिया गया था।

तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर भारतीय संविधान की धारा 352 के अधीन देश में आपातकाल की घोषणा की थी। 26 जून को रेडियो से इंदिरा गांधी ने इसे दोहराया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को रायबरेली के चुनाव अभियान में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का दोषी पाया था। साथ ही उनके चुनाव को खारिज कर दिया था। इतना ही नहीं, इंदिरा गांधी पर छह साल तक के लिए चुनाव लड़ने या कोई पद संभालने पर भी रोक लगा दी गई थी।

बताया जाता है कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को स्थगित कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्वीकार किया था कि देश में आपातकाल के दौरान इस कोर्ट से भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ था। 21 महीने तक इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू रखा इस दौरान विपक्षी नेताओं को जेलों में ठूंस दिया गया।

कहा जाता है कि आपातकाल के दौरान संजय गांधी और उनके दोस्तों की चौकड़ी ही देश को चला रहे थे और उन्होंने इंदिरा गांधी को एक तरह से कब्‍जे में कर लिया था। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है यह बात तब साबित हुई जब देश से इमरजेंसी का अंत हुआ और लोकसभा चुनाव में जनता ने इंदिरा गांधी और कांग्रेस पार्टी को पराजित किया। 1977 में देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। यह विपक्ष की एकजुटता का शानदार इतिहास है, जब पूरा विपक्ष एक तानाशाही प्रधानमंत्री के खिलाफ एकजुट हुआ था और जनता ने यह संदेश दिया था कि वह सर्वोपरि है और संविधान से छेड़छाड़ की इजाजत किसी को नहीं दी जायेगी।

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