अमेरिका में बिहार के महेश ने लहराया परचम, बनाया 3000 करोड़ की कंपनी, 5000 लोग काम करते हैं

3 हजार करोड़ की कंपनी बनाने वाले बिहारी की कहानी, गए अमेरिका पढ़ने, प्रोफेसर बने..खून में था बिजनेस; खड़ी कर दी 5000 एम्पलाई वाली कंपनी : मेरा नाम महेश कुमार है और मैं बिहार का रहने वाला हूं. मेरा परिवार मूल रूप से भागलपुर के नवगछिया का रहने वाला है. आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रहा हूं कि कैसे मैं अमेरिका पढ़ने के लिए गया था, पढ़ाई करने के बाद कैसे प्रोफेसर बना और कैसे मैं 3000 करोड़ की कंपनी खड़ी कर डाली. आपको जानकर आश्चर्य लगेगा कि मेरी कंपनी में वर्तमान समय में 5000 से अधिक लोग काम करते हैं. मेरा पूरा परिवार कपडा बेचता है और कपड़ा का बिजनेस करता है लेकिन मैं सॉफ्टवेयर बेचता हूं और मेरी कंपनी का नाम टाइगर एनालिटिक्स है.

बचपन से ही पढ़ने में मैं काफी तेज था इस कारण मेरा एडमिशन सैनिक स्कूल में हो गया. साल 1995 में मैं सैनिक स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और आगे की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी बॉम्बे चला गया यहां मेरे कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की. साल 1999 में मैं अमेरिका पढ़ने के लिए गया था और विदेश जाकर पढ़ाई की. यह वह दौर था जब कोई लड़का विदेश जाकर पढ़ाता था तो कहा जाता था कि वह काफी प्रतिभावान है.

अमेरिका स्थित बोस्टन के एमआईटी कॉलेज से मैं पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और इसी कॉलेज में मुझे प्रोफेसर की नौकरी मिल गई. इसके बाद मैंने कभी ना तो पीछे मुड़कर देखा और ना ही कभी भारत जाने का मन किया. 8 सालों तक इस कॉलेज में पढ़ता रहा.

कंपनी शुरू करने का ख्याल मन में कैसे आया इस बात का जवाब देते हुए महेश कहते हैं कि एक दिन मैंने अपनी पत्नी से कंपनी खोलने के बारे में बताया तो वह नाराज हो गई और उसने भी साथ देने से इनकार कर दिया. हालांकि जब कंपनी का टर्नओवर हजार करोड़ के पार पहुंचा वह मेरे साथ मेरी कंपनी में जुड़ गई.

मैं प्रोफेसर की नौकरी से ऊब चुका था और अचानक एक दिन मन में ख्याल आया कि अपना कुछ काम शुरू किया जाना चाहिए. मेरे पास कुछ सेविंग्स बची थी उसी की मदद से साल 2011 में मैं टाइगर एनालिटिक्स नामक कंपनी को शुरू किया. आपको जानकर आश्चर्य लगेगा कि शुरुआती दौड़ में कोई भी आदमी मेरे कंपनी में स्टाफ बनकर काम नहीं करना चाहता था. दो-तीन साल तक हमारी कंपनी में मात्र चार से पांच लोग काम किया करते थे.

महेश बताते हैं, टाइगर एनालिटिक्स की सबसे बड़ी बात है कि 12 साल की इस कंपनी ने कभी भी बाहर से फंड नहीं लिया है। खुद की बदौलत कंपनी को शुरू किया था, जो आज 12 सालों में 3000 करोड़ रुपए का टर्नओवर कर रही है। टाइगर एनालिटिक्स की जब शुरुआत हुई तो पहले साल का इस कंपनी का टर्नओवर 8 करोड़ हुआ था। शुरुआती सालों में कंपनी काफी स्लो ग्रो कर रही थी, लेकिन आज यह कंपनी 3000 करोड़ रुपए का टर्नओवर हर साल कर रही है। कुछ सालों में इसने 20 गुना से भी ज्यादा ग्रो किया है।

महेश बताते हैं, जब मैं बिहार में अपनी कंपनी शुरू करने का सोचा तो खुद मेरे पिता जो बिहार में ही रहते हैं उन्होंने मुझे मना कर दिया। उन्होंने कहा कि बिहार काम करने के लिए सेफ नहीं है। इसके बाद मैं और भी कई लोगों से सुना कि यहां पर कंपनी सेटअप करना सही डिसीजन नहीं होगा। लेकिन मैंने मन बना लिया था कि मुझे बिहार में अपनी कंपनी का ऑफिस स्टार्ट करना है। इसके लिए मैंने बाकी और लोगों से बात करनी शुरू की। तो मुझे पता चला कि आईटी सेक्टर में ज्यादा प्रॉब्लम्स नहीं आएगी।

महेश ने यह भी बताया कि बॉलीवुड की फिल्में बिहार के इमेज को खराब बना रही है। खुद बिहार के डायरेक्टर बिहार की इमेज को खराब कर गंगाजल जैसी फ़िल्में बना रहे हैं। जिसमें केवल बिहार की बुरी छवि जैसे क्राइम पॉलिटिक्स एक्सटॉर्शन जैसी चीज भरी रहती हैं। जिससे बिहार के बाहर और विदेशों में भी बिहार की इमेज खराब हो रही है। इसीलिए सरकार को चाहिए कि वह राज्य की इमेज को क्राइम और पॉलिटिक्स से परे अच्छे इमेज को दिखाने पर काम करें। जिससे बिहार में ऑपच्यरुनिटीज के सभी रास्ते खुल सके।

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