बिहार के इस गांव में होता है अनोखा मूर्ति विसर्जन, 28 घंटे में तय हुआ डेढ़ KM का सफर, उमड़ी भीड़

PATNA : तोहरे भरोसे ब्रह्म बाबा झिझिया बनेलियै हो, ब्रह्म बाबा झिझिया बनेलियै हो, ब्रहम बाबा झिझिया पर होइयौ ने सवार कि बालक तोहर कुछुओ नै जानै छह हो…दुर्गा पूजा सपन्न होने के बाद मूर्ति विसर्जन एक बहुत बड़ा आयोजन होता है।

लोग नाचते गाते दुर्गा मां की प्रतिमा को पवित्र जल में प्रवाहित करते हैं। आमतौर पर मूर्ति विसर्जन का कार्यक्रम दो से चार घंटे में संपन्न होता है। लेकिन बिहार के दरभंगा जिले अंतर्गत जाले गांव में जलेश्वरी मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में लगभग 18 से 30 घंटे लग जाते हैं।

दरअसल, जलेश्वरी मंदिर में 1960 से होने वाली दुर्गा पूजा में लोगों की असीम श्रद्धा है। लोगों की माने तो यहां हर मनोकामना पूरी होती है। यही वजह है कि यहां के लोग न सिर्फ पूजा धूमधाम से करते है बल्कि मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन भी पूरी उत्साह के साथ करते हैं। मंदिर से एक किलोमीटर की दूरी पर सुखाई सरोवर तालाब में प्रतिमा विसर्जन किया जाता है।

हजारों की संख्या में स्थनीय लोग मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में भाग लेते हैं। इसमें महिलायें भी खूब बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है। साथ ही पूरे रास्ते कुछ महिलाएं माथे पर घरा रख पारंपरिक झिझिया खेलती जाती है। इस दौरान भीड़ इतनी होती है कि पांव रखने की जगह नहीं होती। मां की भक्ति में सभी ऐसे लीन रहते हैं कि कब इतना वक्त निकल जाता किसी को पता नहीं चलता।

मूर्ति विसर्जन में इतनी देरी क्यों लगती है इस पर स्थानीय लोग कहते हैं कि जलेश्वरी मंदिर से मूर्ति को जब विसर्जन के लिए लाया जाता है। तब वहां का पूरा माहौल और वातावरण भी साथ साथ चलता है। जगह- जगह रोक कर महिलाएं मिथिला की परम्परागत झिझियां खेलती है, माथे पर घड़ा रखकर उसके अंदर दीप जला कर यह खेल खेला जाता है जो मिथिला में काफी प्रचलित है। भीड़ इतनी होती है कि तिल रखने की जगह नहीं होती।

मां कि भक्ति में सारे ऐसे लीन रहते हैं जैसे उन्हें समय का कोई अहसास नहीं रहता और देखते- देखते इनता वक्त निकल जाता है। आमतौर पर मूर्ति विसर्जन में पुरूषों की भागदीदारी देखी जाती है। लेकिन जाले में प्रधानता महिलाओं की है। शुरूआत में मूर्ति विसर्जन की कमान पूरूषों के पास जरूर होती है लेकिन आधी रात के बाद यह कमान महिलाओं के हाथ होती है और महिलाएं ही माता को पवित्र जल में विसर्जित करती हैं।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *