दरभंगा में मॉनसून ने 4 वर्षों का रिकार्ड तोड़ा, 24 घंटे में 26.85 एमएम बारिश हुई

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PATNA : दरभंगा जिले में इस बार मानसून के मेहरबान रहने के कारण जमकर बारिश हुई। इस बार की बारिश ने पिछले चार वर्षाें के िरकार्ड का ताेड़ िदया। इसका सुखद परिणाम यह रहा कि इस बार मई से जून माह के दाैरान लाेगाें काे पेयजल संकट का सामना नहीं करना पड़ा। साथ ही जिले में वाटर लेवल में वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष 2019 में जहां पूरा जिला जल संकट से जूझ रहा था। वहीं, इस बार हुई बारिश के कारण जल स्तर इतना ऊपर आ गया है कि आने वाले तीन-चार वर्षों में जल संकट की समस्या नहीं होगी। इस बार समय पर हुई बारिश के कारण जिले में किसानों ने करीब 70 हजार हेक्टेयर से अधिक में धान, साढ़े तीन सौ हेक्टेयर में मक्का व करीब आठ सौ हेक्टेयर में अन्य फसलों की खेती की थी। लेकिन अत्यधिक वर्षा व अचानक आई बाढ़ के कारण किसानों की फसल का नुकसान हो गया। जिला प्रशासन की आंकड़ा के मुताबिक अत्यधिक वर्षा व बाढ़ के कारण 67961 हेक्टेयर में धान, 304 हेक्टेयर में मक्का व 749 हेक्टेयर में अन्य फसलों का नुकसान हुआ है।

जिला सांख्यिकी कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष पिछले चार वर्षों की तुलना में अधिक बारिश हुई। सितंबर माह के शुरू होते ही अन्य वर्षों से काफी अधिक वर्षा हुई है। सांख्यिकी कार्यालय के मुताबिक वर्ष 2016 में जनवरी से लेकर दिसंबर तक 1038.30 मिमी, 2017 में 1155.10 मिमी, 2018 में 542.43 मिमी, 2019 में 723.45 मिमी वर्षा दिसंबर माह तक हुई थी। लेकिन वर्ष 2020 में 1जनवरी से 2 सितंबर तक में वास्तविक वर्षापात 1166.74मिमी है। वर्ष 2020 तथा 2019 में 31 अगस्त तक में 48.46 मिमी वर्षा का अंतर है। सांख्यिकी विभाग के मुताबिक वर्ष 2019 में जनवरी में 0, फरवरी में 16.40, मार्च में 0, अप्रैल में 49.90, मई में 18.90, जून में 87.10, जुलाई में 383.35 व अगस्त में 126.31मिमी वास्तविक वर्षापात हुआ। जबकि 2020 में जनवरी में 2.40, फरवरी में 10.60,मार्च में 40.30, अप्रैल में 63.70, मई में 62.50, जून में 294.80,जुलाई में 492.57 और अगस्त में 174.77 मिमी वास्तविक वर्षापात दर्ज किया गया है। पिछले वर्ष अगस्त में वास्तविक वर्षापात -20.47% कम थी वहीं इस वर्ष अगस्त में वास्तविक वर्षापात 33.14% अधिक हुआ।

पिछले वर्ष हुई बारिश की तुलना में इस वर्ष सितंबर माह के पहले सप्ताह तक अधिक बारिश हो चुकी है। इससे जिले के अधिकांश खेत खलिहानों में जलजमाव की स्थिति बनी है। कृषि विज्ञान केंद्र जाले के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर दिव्यांशु शेखर ने बताया कि जिन किसानों की फसल बाढ़ की चपेट में नहीं आई थी। उन किसानों को धान की अच्छी पैदावार प्राप्त होगी। वहीं, मखाना, सिंगारा और मत्स्य पालन में भी अतिवृष्टि से लाभ पहुंचने की संभावना है। रबी फसल पर भी इस बार इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। किसानों को अच्छी उपज की प्राप्ति हो सकेगी।

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