बिहार में फिर हुआ शहीद जवान का अपमान, एयरपोर्ट पर श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचे नीतीश कुमार

देश की सेवा में हंसते-हंसते अपनी जान गंवाने वाले महज 19 साल के कमलेश का पार्थिव शरीर शनिवार को पटना पहुंचा। हैरान करने वाली बात यह है कि वीरगति पाने वाले इस बिहार के लाल की अंतिम विदाई के मौके पर भी बिहार सरकार का कोई मंत्री पटना एयरपोर्ट नहीं पहुंचा। ना तो पुलिस विभाग का कोई अधिकारी ही शहीद जवान के पार्थिव शरीर को दो फूल चढ़ाने एयरपोर्ट पहुंचा और ना ही कोई आलाधिकारी।

सीमा पर पाकिस्तान की गो’लीबारी में पटना जिले के बख्तियारपुर का लाल कमलेश कुमार (१9 वर्ष) शहीद हो गया। प्रखंड के लखनपुरा गांव निवासी अनिल सिंह के छोटे पुत्र कमलेश ने हाल ही में कश्मीर के कुपवाड़ा में योगदान दिया था। अपने सपूत के बीरगति प्राप्त होने की खबर लखनपुरा सहित पूरे बख्तियारपुर में आग की तरह फैल गई। कमलेश ने इसी साल आर्मी ज्वाइन की थी। कुछ दिन पहले ही वह अपने गांव आया था।

लखनपुरा में अपने लाल कमलेश की शहीद जिसने भी सुनी स्तब्ध हो गया। देश की सेवा को उसे एक साल भी नहीं मिले। बीस दिन पहले ही वह गांव पर छुट्टी बिताकर ड्यूटी पर लौटा था। पाक की गोलाबारी में शुक्रवार को कुपवाड़ा सेक्टर में शहीद हो गया। उसका पार्थिव शरीर शनिवार को गांव पहुंचने की उम्मीद है। दिसंबर 2018 में दानापुर में उसकी बहाली हुई थी। ट्रेनिंग के बाद कुपवाड़ा सेक्टर में उसकी तैनाती हुई थी। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वह गांव आया था। गांव में सबसे मिला।

बीस दिन पहले 24 अगस्त को ही ड्यूटी ज्वाइन करने गया था। शुक्रवार शाम कमलेश की यूनिट के अधिकारी ने घर पर फोन कर उसके शहीद होने की जानकारी दी थी। शाम छह बजे जैसे ही कमलेश के शहीद होने का पता चला, पिता दहाड़ मारकर रो पड़े। घर वालों ने उन्हें संभाला। पूरे घर में मातम पसर गया। जिसने भी गांव के लाल के शहीद होने की बात सुनी, लखनपुरा स्थित उनके घर पर जमा होने लगे। बारिश के बाद भी वहां काफी देर तक लोग जमे रहे। ग्रामीण गोपाल शर्मा ने बताया कि कमलेश बहुत ही मिलनसार था। सबसे अच्छा व्यवहार रखता था। ट्रेनिंग के दौरान का अपना अनुभव भी ग्रामीणों के साथ साझा किया था। दिसंबर में उसकी बहाली हुई थी। परिवार में पिता के अलावा बड़ा भाई है। पिता अनिल सिंह चार भाई हैं।

दो भाइयों में छोटा था कमलेश: अपने व्यवहार से सभी का दिल जीत लेने वाला कमलेश दो भाइयों में छोटा था। अभी उसकी शादी नहीं हुई थी। पिता किसान हैं। मां की दस साल पहले ही मौत हो चुकी है। बड़ा भाई कौशल कुमार रेलवे में हैं। उनकी भी अभी शादी नहीं हुई है। बहन की शादी हो चुकी है। उसने मैट्रिक तक की पढ़ाई लखनपुरा हाई स्कूल से की। बाढ़ एएनएस इंटर कॉलेज से इंटर पास किया। उसके बाद नौकरी लग गई।

घर बनवाने का वादा कर गया था बेटा: अनिल सिंह किसान होने के कारण अपना घर भी नहीं बना पाए थे। वे अपने भाइयों के साथ ही रहते हैं। रोते हुए वे बार-बार यही कह रहे थे कि इस बार छुट्टी में बेटा घर का निर्माण कराने की बात कहकर गया था। अभी उसके गए बीस दिन ही हुए थे।

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