बिहार में क्यों हो रहा है जाति जनगणना, इससे किसको लाभ होगा, हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार से पूछा

पटना 2 मई 2023 : बिहार में जोर-शोर से दूसरे चरण की जाति जनगणना जारी है. शिक्षक लोग डोर टू डोर जाकर लोगों से जानकारियां ले रहे हैं और उनकी जाति दर्ज कर रहे हैं. इसी बीच पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए नीतीश सरकार से पूछा है कि आखिरकार बिहार में जाति जनगणना क्यों हो रहा है. इसके ऊपर कितने पैसे खर्च किए जा रहे हैं. जाति जनगणना पूरी होने के बाद क्या किया जाएगा. इस योजना से किन लोगों को लाभ होने वाला है. क्या इसको लेकर बिहार में कोई कानून बनाया गया है… अब खबर विस्तार से…

ताजा अपडेट के अनुसार नीतीश सरकार का पक्ष रख रहे एडवोकेट जनरल पीके शाही हाईकोर्ट में किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दे पाए. याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि जाति जनगणना पर बिहार सरकार लगभग 500 करोड रुपए खर्च करने जा रही है. बिहार सहित पूरे देश में कहा जा रहा है कि जाति भाग को कम किया जाना है. ऐसे में इस जातिगत जनगणना का क्या उद्देश्य है.

बताते चलें कि जातीय जनगणना कराने के बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही इस पर खर्च हो रहे 500 करोड़ रुपए भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.

जातीय गणना से जुड़ी याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट को अहम निर्देश दिया था. इसके तहत याचिकाकर्ता की याचिका अब पटना हाईकोर्ट में सुनी जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिए आदेश में कहा था कि 3 दिन में सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट मामले में अंतरिम आदेश दें.

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