ऑटो में 12 लोग, 1 रस्सी में बांधे गए 3 कैदी, यह कैसी सोशल डिस्टेंसिंग, बिहार पुलिस की लापरवाही

एक ही रस्सी से तीन कैदियों को बांधकर बेउर जेल ले जाती पुलिस। पुलिस इन्हें ऑटो से लेकर यहां आई थी। इस ऑटो पर चालक के अलावा 5 कैदी आैर 6 पुलिस कर्मी सवार थे। कोरोना के खतरे को देखते हुए गिरफ्तार होने वाले अपराधियों या अन्य आरोपियों के विशेष मेडिकल जांच की व्यवस्था की गई है। इसके तहत ब्लड प्रेशर, बुखार, खांसी, सर्दी समेत अन्य पहलुओं पर परखा जाता है। स्क्रीनिंग या जांच में दुरुस्त होने पर ही अपराधी को जेल भेजा जाएगा। एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार के मुताबिक बदले हालात स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से अपराधियों या आरोपियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है। कोरोना संदिग्ध पाए जाने पर थाने के किसी क्वारेंटाइन सेंटर पर अतिरिक्त सुरक्षा में इन्हें रखा जाएगा।

पटना एम्स में अब प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज : पटना एम्स ने प्लाज्मा थेरेपी की सारी तैयारी पूरी कर ली है। आईसीएमआार से गाइडलाइन के तहत जो भी प्रक्रिया थी उसे पूरी कर ली गई है। आईसीएमआर मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बताएगा कि कैसे प्लाज्मा थरेपी शुरू करनी है और किस मरीज पर करनी है। इसके बाद प्लाज्मा थेरेपी संस्थान में शुरू हो जाएगी। हालांकि इस वीडियोक्रांफ्रेंसिंग में देश के 20 संस्थान शामिल होंगे जिन्हें आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दे रखी है।

आईसीएमआऱ इन संस्थानों में किए जाने वाले प्लाज्मा थेरेपी का तीन महीने तक मॉनिटरिंग करेगा। पहली बार बिहार और झारखंड में प्लाज्मा थेरेपी से कोराना मरीज का इलाज पटना एम्स शुरू करने जा रहा है। अब सबसे बड़ा काम है डोनर की तलाश या फिर कोरोना से ठीक हो चुके मरीज को प्लाज्मा डोनेशन के लिए राजी करवाना। कोरोना के गंभीर मरीज को 100 से 200 एमएल प्लाज्मा देने की जरूरत होती है। कुछ मामलों में अधिक से अधिक 200 एमएल प्लाज्मा देने की जरूरत पड़ती है। इसमें कोरोना के संक्रमित मरीज जो इलाज के बाद निगेटिव हो गए हैं। उनके अस्पताल से छुट्टी होने के 14 से 28 दिन बाद उनका प्लाज्मा लिया जाता है। डोनेशन लेने से पहले मरीज की एंटीबॉडी टाइटर जांच कराई जाती है।

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