अभी-अभी : आरक्षण पर मद्रास HC का बड़ा फैसला, कहा-बिना जाति गणना के जातिगत रिजर्वेशन देना गलत

कोर्ट ने कहा-बिना जाति गणना के जातिगत अारक्षण देना गलत, मद्रास हाईकोर्ट का फैसला, वन्नियार समुदाय का आरक्षण कानून असंवैधानिक : जातीय जनगणना पर मद्रास हाईकोर्ट के फैसले से इस मुद्दे के फिर से जोर पकड़ने के आसार हैं। काेर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु में वन्नियार काे 10.5% अारक्षण रद्द करने काे असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि जातिगत जनगणना कराए बिना जातिगत अारक्षण देना गलत है।

मद्रास हाईकोर्ट ने दरअसल, तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित एक कानून को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसमें शिक्षा और रोजगार में सबसे पिछड़े वर्गों के 20% आरक्षण में वन्नियाकुला क्षत्रिय समुदाय को 10.5% इंटरनल रिजर्वेशन दिया गया था। न्यायमूर्ति एम. दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति के. मुरली शंकर ने आदर्श आचार संहिता के लागू होने से कुछ घंटे पहले पारित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली उच्च न्यायालय की मुख्य सीट के साथ-साथ इसकी मदुरै पीठ में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई को मंजूरी दी थी। चुनाव के बाद डीएमके सरकार ने भी कॉलेजों में प्रवेश में कानून को लागू किया था।

बिहार : जातीय जनगणना के पक्ष में हैं सभी पार्टियां
बिहार में जातीय जनगणना की मांग लगातार उठ रही है। लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के जवाब के बाद इस मसले से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों ने और जोर पकड़ा। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से भी मिल चुका है। मंगलवार को आने वाले उप चुनाव के नतीजे और दीपावली व छठ के बाद यह मुद्दा फिर जोर पकड़ेगा ऐसी पूरी संभावना है। यहां बता दें कि इस सवाल पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी देश के 33 दलों के नेताओं को चिट्‌ठी लिख चुके हैं। राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि देश स्तर पर जातीय जनगणना नहीं हो सकती है। राज्य चाहें तो करा सकते हैं। यहा बता दें कि राज्य जातीय गणना तो करा सकते हैं लेकिन आंकड़ों को कानूनी वैधता मिलने में पेंच बरकरार रहेगा क्योंकि यह अधिकार रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इण्डिया के पास ही है। गौरतलब है कि देश में आखिरी जातीय जनगणना 1931 में हुई थी।

क्या था मामला
दरअसल, अतिपछड़ाें के लिए निर्धारित 20% के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए परामर्श की प्रक्रिया 13 जून, 2012 को शुरू हुई। इसमें तमिलनाडु पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष ने वन्नियाकुला खस्त्रिया (वन्नियार, वनिया, वनिया गौंडर, गौंडर, कंदर, पडायाची, पल्ली और अग्निकुल क्षत्रिय) के लिए 10.5% आरक्षण की सिफारिश की थी। इस तरह की सिफारिश 1983 में दूसरे तमिलनाडु बीसी आयोग द्वारा की गई डोर-टू-डोर गणना पर भरोसा करके की गई थी।

इस साल फिर सिफारिश, सरकार ने मानी
2013 में बीसी आयोग के सदस्यों ने अध्यक्ष द्वारा की गई सिफारिश से असहमति जताई थी। इसके बाद सरकार ने इस साल फरवरी 2021 में नीतिगत निर्णय लेने से पहले आयोग के मौजूदा अध्यक्ष की राय मांगी और उन्होंने वन्नियाकुला क्षत्रियों को 10.5% आंतरिक आरक्षण की सिफारिश की।

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