दोस्ती के मिसाल हैं श्रीकृष्ण, भगवान होकर भी सुदामा के पैर धोए थे

पटना : जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा श्रद्धालु सुख, शांति और जीवन में कामयाबी के लिए करते हैं। कृष्ण को पूरी दुनिया प्रेम के लिए जानती है पर भगवान श्रीकृष्ण दोस्ती के भी सबसे बड़े मिसाल हैं। भगवान होने के बावजूद श्रीकृष्ण ने अपने दोस्त सुदामा के चरण धोए थे। सुदामा जब अपने दोस्त श्रीकृष्ण के पास गए तो भगवान ने उनके साथ नम्रता का व्यवहार किया तो सभी देखकर दंग रह गए। भरी सभा में श्रीकृष्ण ने अपने दोस्त सुदामा द्वारा लाए हुए कच्चे चावल को बड़े प्रेम से खाया और गुप्त रूप से धन की सहायता की।

अर्जुन के बने सारथी : भगवान श्रीकृष्ण के बिना महाभारत में पांडवों की जीत संभव नहीं थी। क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण केवल अर्जुन के सारथी नहीं थे, बल्कि बहुत बड़े रणनीतिकार भी थे। महाभारत की रणभूमि में कई बार अर्जुन अपनी हिम्मत हारने लगे और अस्त्र छोड़ने लगे तो उनके सारथी के रूप में मैदान में मौजूद कृष्ण ने भी उन्होंने मोटिवेट किया और उनका मार्गदर्शन किया। पांडवों की जीत के लिए श्रीकृष्ण ने कई तरह रणनीति बनाई, जिसके बाद कौरवों को हराने में पांडव सफल हुए।

मामा कंस के वध के बाद राज गद्दी संभालने से कर दिया था इंकार : भगवान श्रीकृष्ण जन कल्याण के लिए ऐसे ही प्रसिद्ध नहीं हैं। जब उन्होंने अपने मामा कंस का वध किया तो उसके बाद उनके नाना यानी महाराज उग्रसेन ने श्रीकृष्ण को राज गद्दी संभालने को कही पर उन्होंने इससे इंकार कर दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने नाना से कहा कि अगर वह राजा बन गए तो उनसे समाज कल्याण छूट जाएगा। इसके अलावा मां रुक्मणी ने जब श्रीकृष्ण से पुत्र की इच्छा जताई तो उन्होंने कहा कि वह अभी 12 साल तक कोई पुत्र के योग्य नहीं हैं, क्योंकि उन्हें अगले 12 साल तक बद्रिका आश्रम में बेर खाकर तपस्या करनी है।

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