ब्रिगेडियर M उसमान ने ठुकरा दिया था पाक आर्मी चीफ बनने का ऑफर, आज कब्र की भी हालत खराब

ब्रिगेडियर एम उसमान को पाकिस्तान का अर्मी चीफ बनने का ऑफर मिला था लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया और जन्मभूमि की सेवा करना स्वीकार किया : दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास कई देशभक्त और महान लोगों को दफ्न किया गया और उनकी कब्र अब भी मौजूद हैं लेकिन अब ये कब्रें अनदेखी का शिकार हैं। कई कब्रों का सामने का हिस्सा ही टूट गया है। इनमें से ही एक ब्रिगेडियर मोहम्मद उसमान की भी कब्र है। वह बड़े सेना अधिकारी थे जो 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हो गए थे।

उनके जीवन से पता चलता है कि कैसे उन्होंने देश की सेवा की और निर्णय की घड़ी में उन्होंने निजी स्वार्थों को छोड़कर राष्ट्र हित में फैसला किया। वह बलूच रेजिमेंट में कमीशन्ड हुए थे और आजादी तक देश की सेवा की। बंटवारे के समय उन्हें पाकिस्तान का आर्मी चीफ बनने का भी ऑफर दिया गया था लेकिन सच्चे देशभक्त ने यह ऑफर ठुकरा दिया और उसी देश की सेवा करना स्वीकार किया जो उनकी जन्मभूमि थी। वह सेकुलरिजम और देशभक्ति की मिसाल हैं। ब्रिगेडियर उसमान ने जीवन पर्यंत देश की सेवा की।

ब्रिगेडियर उसमान को 50 पारा ब्रिगेड की कमान दी गई थी और 1947 में वह जम्मू-कश्मीर के नौशेरा में तैनात थे। उन्हें झांगर में दोबारा कब्जा करने का काम सौंपा गया था। 3 जुलाई 1948 को ब्रिगेडियर गोलीबारी में शहीद हो गए। उन्हें बाद में महावीर चक्र से सम्मानित किया गया जो कि सेना का दूसरा सबसे बड़ा मेडल है। उन्हें आज भी ‘नौशेरा का शेर’ के नाम से जाना जाता है।

इस कब्रिस्तान में ब्रिगैडियर उसमान की कब्र को वीआईपी दर्जा दिया गया है। इसमें कुरादुलैन हैदर और सज्जाद जहीर जैसी हस्ती भी शामिल हैं। जामिया मेट्रो स्टेशन के पास यह कब्र है। इसी के पास लो-इनकम कॉलोनी बनी है और बच्चे क्रिकेट खेला करते हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि इसकी दीवारें बच्चों के खेलने की वजह से भी टूट गई हैं। कब्रिस्तान के इनचार्ज डॉ. इक्तेदार खान ने बताया कि इस कब्र की देखभाल रक्षा मंत्रालय की करता है।

उन्होंने कहा, ‘हर साल मंत्रालय के लोग आकर इस कब्र की मरम्मत करते हैं लेकिन शायद इस बार कोविड की वजह से वे नहीं आए।’ आर्मी पीआरओ कर्नल अमन आनंद ने कहा कि जल्द इसकी मरम्मत करवाई जाएगी।

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